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साहब… दो दिन ठीक तरह से नहीं किया भोजन, बोले कभी सोचा नहीं था पैदल लौटना पड़ेगा गांव

महाराष्ट्र-गुजरात से 96 मजदूर पैदल पहुंचे ने सुनाई पीड़ा, महिला व बच्चें भी शामिल

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Corona Effect: Labor returning home on foot under lockdown

लॉकडाउन के बाद काम बंद होने से महाराष्ट्र पैदल सतना, रीवा, यूपी लौट रहे मजदूर। गर्मी के कारण दोपहर में हरसूद में कुछ देर आराम करने लगे।

बोरगांव बुजुर्ग. साहब… मजदूरी करने हजारों किमी दूर अपना प्रदेश छोड़ महाराष्ट्र पैसा कमाने गए थे। अपनी पत्नी, बच्चों तक मिलकर किराए के कमरे में रहते थे। कुछ पैसा कमाकर अच्छी भली जिदंगी चल रही थी, लेकिन पिछले माह कोरोना वायरस आने से लॉकडाउन लग गया। जिसके साथ ही हम लोगों की किस्मत पलट गई। फैक्ट्री, कंपनियां बंद होने से काम मिलना बंद हो गया। रेल, बसें भी बंद हो गई। भोजन के लाले पड़ने लगे। बच्चें भूख के मारे रोते-बिलखते। आखिर में हमने पैदल ही अपने गांव जाने का निर्णय लिया। कभी सोचा नहीं था कि जहां पैसे कमाने आए। वहां से हजारों किमी दूर अपने गांव पैदल लौटना पड़ेगा। यह पीड़ा महाराष्ट्र से पैदल लौट रहे 96 मजदूरों ने शुक्रवार को बोरगांव बुजुर्ग में सुनाई। शाम 5 बजे महाराष्ट्र, गुजरात व बुरहानपुर से लगभग 96 मजदूर इंदौर-इच्छापुर हाईवे से पैदल बोरगांव पहुंचे। मजदूरों में 89 पुरूष, 4 महिलाएं व 3 बच्चें भी शामिल थे। बच्चों की उम्र 1 से 2 साल के बीच है। भूखे-प्यासे व नंगे पैर मजदूरों को देख गांव के नीरज कुशवाह ने खाना तैयार किया। अन्य युवा साथियों के सहयोग से सभी को हाईवे किनारे स्थित मां बागेश्वरी मंदिर पर खाना खिलाया। सूचना के आधार पर पहले संविदा आयुष चिकित्सक डाॅ. मनीष द्विवेदी वहां पहुंचे और सभी का स्वास्थ्य परीक्षण किया। मजदूरों ने कहा सैकड़ों किलोमीटर पैदल सफर किया है। दो दिन से ठीक से कुछ खाया भी नहीं है। महाराष्ट्र के नासिक से दमोह जा रहे रामप्रसाद, करकबनी से चित्तोड़गढ़ जा रहे विनोद रामचंद्र ने बताया परिवार पालन के लिए अन्य राज्य गए थे। कभी नहीं सोचा था कि घर लौटने के लिए वाहन नहीं मिलेगा। पंधाना थाना प्रभारी प्रशिक्षु डीएसपी केतन एचअडकल व पंधाना तहसीलदार विजय सेनानी, बोरगांव चौकी प्रभारी जगदीश सिंह भी पहुंच गए।