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Corona : लॉक-डाउन से भूखे-प्यासे पैदल ही बिहार जा रहे मजदूर, ठेकेदार ने बिना वेतन दिए भगाया

सूचना देने डेढ घंटे बाद पहुंचा प्रशासन, छात्रावास में ठहराया, समाजसेवियों ने कराया भोजन  

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Corona: Lock-down forced laborers to walk thousands of km

हरसूद। बुरहानपुर सूत मिल के मजदूर रेलवे ट्रैक के रास्ते बिहार जा रहे। थकने से कुछ देर पेड़ के नीचे आराम करने लगे।

हरसूद. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉक डाउन के बाद मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़़ा हो गया है। दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले मजदूर घर लौट रहे हैं। बुरहानपुर की कपड़ा बीटी कंपनी में काम करने वाले ये मजदूर हजारोंं किमी की यात्रा पैदल ही सड़क और रेलवे ट्रैक के रास्ते तय करने को मजबूर हैं। इन मजदूरों को ठेकेदार ने पिछले महीने का वेतन दिए बिना ही रवाना कर दिया है। सतना और बिहार जाने वाले मजदूरों की दो टोली शुक्रवार को हरसूद पहुंची। 6 मजदूरों की एक टोली रेलवे ट्रैक के रास्ते और 10 मजदूरों की दूसरी टोली सड़क मार्ग से पहुंची। जो भूखे-प्यासे भीषण गर्मी में पैदल चल रहे थे। रास्ते से गुजर रहे ग्राम बोरीसराय के दीपक मीणा ने अपनी गाड़ी रोक मजदूरों से बातचीत की। उन्हें हरदा रोड स्थित पेट्रोल पंप पर रूकवाया। एसडीएम को सूचना देने के बाद समाजसेवी कमलकांत भारद्वाज के माध्यम से इन मजदूरों के भोजन की व्यवस्था कराई। सूचना देने के डेढ़ घंटे बाद प्रशासन के अफसर मौके पर पहुंचे। जिन्हें बुखारदास बाबा समाधि स्थल लाया गया। सभी का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। शाम को सभी मजदूर पैदल की घर के लिए निकल गए। जिसमें से सतना जाने वाले मजदूरों को एसडीएम ने दोबारा वाहन भेजकर छात्रावास में रूकवाया।

भोजन की आ रही थी समस्या
सीधी जिले के हजारी लाल गुप्ता, चंद्रशेखर ने बताया तीन माह से काम रहे थे। मार्च महीने की ठेकेदार ने सैलरी नहीं दी। ठेकेदार ने सिर्फ 1500 रुपए दिए। भोजन की दिक्कत हो रही थी। इसलिए घर जा रहे हैं।

तीन दिन से चल रहे लगातार पैदल
बिहार के रोहतास निवासी जितेंद्र चौधरी, सुनील कुमार भी बुरहानपुर की बीटी कंपनी में मजदूरी करते थे। लॉक डाउन होने से वे रेलवे ट्रैक के रास्ते बिहार के लिए तीन दिन पहले निकले। शुक्रवार दोपहर में भूखे-प्यासे चलते-चलते थक गए तो वे नीम के पेड़ के नीचे आराम करने लगे। हरसूद के भावेश नागड़ा ने इन मजदूरों को बिस्किट व नमकीन खिलाया।


-सभी का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। उनके ठहरने की व्यवस्था की। लेकिन वे चले गए। बाद में कुछ मजदूरों को हमने छात्रावास में ठहराया है। जिन्हें भेजने की तैयारी कर रहे है। -आरती सिंह, एसडीएम, हरसूद।