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खंडवा के किसान ने खेती को ही बना लिया प्रयोगशाला, वैज्ञानिक भी रह जाएंगे दंग

सिंहाड़ा के किसान मित्र किसान मोहन मालाकार कम जगह में ले रहे ज्यादा उत्पादन, एकसाथ तीन सब्जियां उगाकर कमा रहे तीगुना मुनाफा, क्षेत्र में नए-नए प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं मोहन, यही नहीं मात्र पौन एकड़ जगह में तीन सब्जियां उगाकर 60 से 65 हजार रुपए सालाना कमा लेते हैं। वहीं दो एकड़ जमीन में चार तरफ की फसल लगाकर 70 से 80 हजार की कमाई हो जाती है। 

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Editorial Khandwa

Aug 02, 2017

khandwa, patrika agrotek, Farmer made farming lab

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खंडवा से पुष्पेन्द्र साहू की रिपोर्ट
खंडवा जिले के ग्राम सिंहाड़ा के एक छोटे से किसान मोहन मालाकार (किसान मित्र) ने अपनी जमीन को ही प्रयोगशाला बना दिया है। ये किसान कम जगह में भी कई तरह के अनाज, सब्जियां, दलहन और तिलहन अनाज उगाकर अच्छा-खासा मुनाफा कमा लेते हैं। वहीं 25 डिसमल जगह में दस से अधिक प्रकार के फलों के पौधे लगाएं हैं जो दो साल के अंदर फल देने लगेंगे। यही नहीं मात्र पौन एकड़ जगह में तीन सब्जियां उगाकर 60 से 65 हजार रुपए सालाना कमा लेते हैं। वहीं दो एकड़ जमीन में चार तरफ की फसल लगाकर 70 से 80 हजार की कमाई हो जाती है। मोहन का मानना है किसान सबसे बड़ा वैज्ञानिक है। उसे अपने खेत में ही तरह-तरह के प्रयोग करते रहना चाहिए, क्या पता कब कौन सा प्रयोग सफल हो जाए।
खेत में त्रिकोण विधि से लगाते हैं सब्जी
ग्राम सिहाड़ा के किसान मोहन मालाकार ने बताया पौन एकड़ जमीन में गिलकी-लौकी के साथ त्रिकोण आकार में धनिया लगाया है। इस विधि से सब्जी लगाने में फायदा यह होता है कि पौधे एक-दूसरे के विकास में बाधक नहीं बनते हैं। साथ ही जब पौधे बड़े होते हैं तो इनके बीच धनिया भी हो जाती है। इसके अलावा दो माह बाद जब गिलकी-लौकी में सब्जी लगना कम हो जाएगी तो इसके पहले सितंबर में ही सेम के पौधे लगा देंगे। इससे फायदा यह होता है कि जब तक गिलकी-लौकी से आमदनी बंद होती है तब तक सेमफली निकलने लगेगी। इसके अलावा भिंडी भी लगाते हैं और इसके बीच में फुटाना चना बो देते हैं। इससे जहां भिंडी भी अच्छी पैदावार देती है वहीं चने भी अच्छे होते हैं। इस तरह एक साथ हर साल तीन सब्जियां उगा लेते हैं। साथ ही इन्हें खुद तोड़कर सीधे फुटकर बाजार में बेचते हैं। इससे सब्जी दोगुने दाम में बिक जाती है और डबल मुनाफा हो जाता है। इस तरह मात्र पौन एकड़ में ही प्रति वर्ष 60 से 70 हजार रुपए की कमाई हो जाती है।
दो एकड़ में बोई चार तरह की फसल, मुनाफा 80 हजार रुपए
किसान मित्र मोहन मालाकार ने बताया मैं हमेशा अपनी जमीन में कई प्रकार की फसल लगाता हूं। इससे फायदा यह होता है एक तो यदि एक फसल बिगड़ जाती है तो अन्य दूसरी फसलों से नुकसान की भरपाई हो जाती है। जैसे इस बार दो एकड़ जमीन में ही मूंग, तिल्ली, मूंगफली और उड़द बोया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि दलहन के साथ तिलहन फसल लगाने से पौधे का विकास बेहतर होने के साथ उत्पादन अच्छा होता है। इस तरह दो एकड़ में ही 80 हजार रुपए तक की मूंग, तिल्ली, मूंगफली और उड़द निकल आएगी। इसके अलावा एक के बाद एक फसल आने से कम पानी होने पर भी हम दूसरी फसलें ले सकते हैं। इसके अलावा मात्र आधा एकड़ में ही मूंगफली, मूंग और अरहर एक साथ मिक्स क्रॉप में लगाई है। इसमें अरहर की एक लाइन, छह लाइन मूंगफली की लगाई हैं। वहीं अरहर के पौधे से पौधे की दूरी ६ गुणित ३ की रखी है। इससे अरहर का पौधा पेड़ जैसा विकसित हो जाता है। इतनी ही जगह में सिर्फ अरहर चार क्विंटल निकल आती है।
तीन तरह की मक्का की वैरायटी भी लगाई
किसान मालाकार ने बताया कि प्रयोग के तौर पर इस बार 10 डिसमल जगह में स्वीट कॉर्न, चंदन मक्का और पॉप कॉर्न मक्का लगाई है। बाजार में पॉप कॉर्न मक्का के अच्छे भाव मिलते हैं। वहीं स्वीट कॉर्न भुट्टे के खाने में काम आती है। स्वीट कॉर्न के भुट्टों की अच्छी मांग रहती है और दाम में चौखे मिल जाते हैं। यदि मक्का की तीनों वैरायटी की ये फसलें सही सलामत आ गईं तो 25 हजार तक का मुनाफा हो जाएगा। इस बार प्रयोग के तौर पर तीनों वैरायटी लगाईं हैं जिसमें सबसे अच्छा उत्पादन होगा आगे से उसी को लगाएंगे।
11 तरह के फलों के पौधे लगाए
यही नहीं किसान मालाकार ने अपनी 30 डिसमल जगह में 11 प्रकार के फलों के पौधों का बगीचा भी तैयार किया है, ताकि हर मौसम में फल मिलते रहें और इनसे कमाई होती रहे। मालाकार ने बगीचे में आम, सुरजना, लीची, सीताफल, आंवला, चीकू, संतरा, मौसंबी, नींबू, खिरनी और रामफल के पौधे लगाएं हैं जो आने वाले डेढ़े से दो साल में फल देने लगेंगे। इससे अच्छी खासी कमाई होने लगेगी।
खुद जैविक खाद तैयार कर प्रति एकड़ 4-5 क्ंिवटल डालते हैं...
मालाकार की सफलता का राज खेती में प्रयोग के अलावा खुद ही जैविक खाद तैयार करना भी है। वह अपने खेत में जुलाई में गोबर और कचड़ा एकत्रित करते चारों तरफ से पॉलीथिन से पैके कर देते हैं और इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी भरकर टाइकोडर्मा, पीएसबी और राइजोबियम तीनों को घोल कच्चे खाद में डाल देते हैं। इसके बाद इसे अच्छी तरह ढंककर दो माह के लिए छोड़ देते हैं। जब दो माह बाद सितंबर में अच्छी धूप होने लगती है तो पॉलीथिन खोलकर खाद को नमी वाले खेत में छिंड़काव करते हैं। एक एकड़ में 4-5 क्विंटल खाद डालते हैं। इससे फसल उत्पादन जहां अच्छा होता है वहीं रायायनिक खाद भी नाममात्र का लगता है। साथ ही खेती में लागत भी कम आती है।
किसानों को संदेश...
किसान मित्र मोहन मालाकार का किसानों को संदेश है कि हमेशा अपनी खेती में प्रयोग करते रहें। क्योंकि हमें नए-नए आइडिया ाते हैं और एक फसल खराब होने पर उसकी भरपाई अन्य फसलों से हो जाती है और किसानों को खेती में नुकसान नहीं हो पाता है।