
Ganesh Chaturthi 2017:Ganpati visarjan significance procedure mahurat timings and tithi
खंडवा. अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन को लेकर इस बार पंचक को लेकर लोगों के मन में तरह -तरह की शंका शुरु हो गई है। कि भगवान गणेश का विसर्जन कब करें। गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन भद्रा व पंचक अनिवार्य रूप से होता ही है चाहे दिन में पड़े या रात में।
पंडित अंकित मार्केंडेय के मुताबिक पंचक का सीधा सा अर्थ है 5 गुणा। पंचक के 5 नक्षत्रों में पूजा, अनुष्ठान करने से 5 गुना अच्छा व शुभ फल मिलता है। शास्त्रों में पंचक में शुभ कार्यों व धार्मिक क्रिया कलाप के लिए निषेध नहीं है। 5 सितंबर को अनंत चतुर्दशी है। इस दिन गणेश पूजा तथा अनंत सूत्र की पूजा हवन दिनभर में किसी भी समय करके विसर्जन कभी भी कर सकते हैं।
ये है पंचक?
पंडित अंकित मार्केंडेय के मुताबिक भारतीय ज्योतिष में इसे अशुभ समय माना गया है। पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्य करने की मनाही है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। यानी घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा, भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती होते हैं उन्हें पंचक कहा जाता है।
क्या होता है पंचक
पांच नक्षत्रों के समूह को पंचक कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राशिचक्र में 360 अंश एवं 27 नक्षत्र होते हैं। इस प्रकार एक नक्षत्र का मान 13 अंश एवं 20 कला या 800 कला का होता है। दूसरे शब्दों में जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। क्योंकि चन्द्रमा 27 दिनों में इन सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है। अत हर महीने में लगभग 27 दिनों के अन्तराल पर पंचक नक्षत्र आते ही रहते हैं।
ये पंचक कितने शुभ है आपके लिए
क्या पंचक वास्तव में इतने अशुभ होते हैं कि इसमें कोई भी कार्य करना अशुभ होता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। बहुत सारे विद्वान इन पंचक संज्ञक नक्षत्रों को पूर्णत अशुभ मानने से इंकार करते हैं। कुछ विद्वानों ने ही इन नक्षत्रों को अशुभ माना है इसलिए पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इन नक्षत्रों में कोई भी कार्य करना अशुभ होता है। इन नक्षत्रों में भी बहुत सारे कार्य सम्पन्न किए जाते हैं।
ये काम नहीं करना चाहिए पंचक में
- पंचक में चारपाई बनवाने से घर-परिवार पर बड़ा दुख आता है।
- पंचक के समय घनिष्ठा नक्षत्र हो तो घास, लकड़ी , जलने वाली कोई भी चीज एकत्रित नहीं करें। आग का डर रहता है।
- दक्षिण दिशा पर यम का अधिकार है जब पंचक चल रही हो तो दक्षिण दिशा में यात्रा न करें।
- पंचक और रेवती नक्षत्र एक साथ चल रहे हो तो घर की छत न बनवाएं अन्यथा घर में धन का अभाव रहता है।
- गरुड़ पुराण में कहा है जब किसी व्यक्ति की पंचक में मृत्यु होती है तो उसके साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है अन्यथा घर में पांच मौत होने का भय रहता है।
Published on:
04 Sept 2017 11:25 am
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