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हाईटेक न्याय: वीडियो कॉल से अनोखा फैसला, 7 समंदर पार पति का दिल पसीजा, जानिए क्या है पूरी कहानी

मध्यप्रदेश के खरगोन में पति-पत्नी के विवाद को वीडियो कॉल से सुलझाया। सीजेएम गंगाचरण दुबे ने सउदी को हाट लाइन पर लेकर पत्नी को साथ रखने राजी किया।

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HighTech Justice: Khargone Unique Decision With Video Call

HighTech Justice: Khargone Unique Decision With Video Call

खरगोन. लोक अदालत में मध्यस्थता के मामलों से बरसों बाद कई परिवारों की खुशियां लौटी। सुलभ और सरल न्याय दिलाने की इस व्यवस्था से अब दो देशों की सीमाएं भी अछूती नहीं रही। शनिवार को जिला मुख्यालय पर ऐसा ही एक मामला सामने आया।
जबलपुर के रहने वाले संतोष और खरगोन की रजनी (दोनों परिवर्तित नाम) का 5 नवंबर 2009 को विवाह हुआ। अभिभाषक प्रीति ठाकुर और धीरेंद्र चौहान ने बताया कि संतोष सउदी अरब की बहरीन में एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करता था। वहीं रजनी शहर के एक स्कूल में पदस्थ थी। विदेश में होने से संतोष का वर्ष में एक-दो बार ही आना जाना होता था। यहां रजनी भी उसके साथ रहने की बात कहती। इस पर दोनों के बीच विवाद होने लगा। मामला न्यायालय में पहुंचा। संतोष के विदेश में होने के कारण सीजेएम गंगाचरण दुबे ने वीडियोका***** से संतोष से चर्चा की। समझाइश के बाद दोनों खुशी से साथ रहने को राजी हुए। वहीं संतोष ने टिकट भेजकर रजनी को अपने पास बुला लिया। अदालत के दौरान नगरपालिका, बिजली विभाग सहित अन्य विभागों से जुड़े कईमामलों का पटाक्षेप हुआ।

पौधा भेंटकर खुशहाल जीवन का संदेश दिया
पारिवारिक विवादों की वजह से अलग रहकर जीवन बीता रही दंपति को सुलह के बाद न्यायाधीशों ने पौधा भेंटकर खुशहाल जीवन का संदेश दिया। शहर के रहने वाले सुमित जैन का 1 जनवरी 2011 को उमरखली की भारती जैन से विवाह हुआ। शादी के बाद भारती ने पारिवारिक कलह के कारण घर छोड़ दिया। भारती ने सुमित और उसके परिवार के खिलाफ दहेज प्रताडऩा और 125 का प्रकरण दर्ज कराया। न्यायालय ने दहेज प्रताडऩा के मामले में सुमित को बरी कर दिया। वहीं 125 के मामले में लोक अदालत में सुलह हुई। एडव्होकेट युवराज गुजराथी ने बताया कि मामले में चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाष सोलंकी, मेरी मां फ्रांसिस डेविड और गंगाचरण दुबे ने भुमिका निभाई।

पति ने पत्नी को छोड़ा, समझौता हुआ
रहीमपुरा की आशाबाई का वर्ष 2002 में भगवानपुरा के दिनेश से विवाह हुआ। शादी के दो साल बाद आशाबाई ने एक दिव्यांग लड़की को जन्म दिया। इसके बाद दोनों पति-पत्नी अलग हो गए। आशाबाई ने बताया कि पति ने दिव्यांग बेटी होने पर छोड़ दिया। आशाबाई के पिता मगन-सुखराम और मां चंद्रकांता ने बताया कि दिनेश ने 2008 में दूसरी शादी कर ली। वहीं दिनेश ने आरोपों को सिरे से नकार दिया। लोक अदालत में दिनेश ने मां-बेटी के लिए एकमुश्त पैसा जमाकर समझौता किया। लोक अदालत के दौरान नगरपालिका ने निकाय के जलकर और संपत्तिकर के लंबित मामलों का भी निराकरण किया।

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