
History of omkareshwar temple
पीयूष तिवारी खंडवा. औरंगजेब ने देश के मंदिरों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। विशेष कर शिवमंदिरों और धार्मिक स्थलों पर कब्जा करना उनके जेहन में था। औरंगजेब के इस आदेश के बाद ही उन सैनिकों ने ओंकारेश्वर में भी खूब तांडव किया था। इसका खामियाजा यह है कि तीर्थनगरी के कई पुरातन मंदिरों को तोड़कर इतिहास में दफन करने का प्रयास किया था। इन्ही मंदिरों में से ओंकार पर्वत पर स्थित सिद्धनाथ बारहद्वारी का मंदिर भी है, जिसको काफी हद तक तोड़ दिया गया है। मंदिर के पत्थरों पर बने देवी देवताओं और हाथियों को भी तोड़ा गया है। उस मंदिर के कलाकृतियों के अवशेष आज भी ओंकार पर्वत पर अपने साथ घटी हुई घटनाओं को बयां कर रहे हैं।
इसलिए नाम पड़ा बारहद्वारी
ओंकार पर्वत पर सिद्धनाथ बारहद्वारी मंदिर के अवशेष पर बने नक्काशी में हर खंभे पर अलग-अलग मुद्राओं में हाथी बने हुए हैं। यह मंदिर जमीन से आठ फीट उपर बना हुआ है। जबकि सभी खंभों पर देवी देवताओं की प्रतिमाएं बनी हुई हैं। इस मंदिर में प्रवेश के लिए कुल 12 द्वार हैं, इसकी नक्काशी और डिजायन देखकर एेसा लग रहा है कि जब यह मंदिर बनाया गया होगा तो लाल पत्थरों को तराशकर कितना खूबसूरत तैयार किया गया होगा। लेकिन आज इस मंदिर का केवल अवशेष है।
खुदाई में मिली थी पुरातन चीजें
यह मंदिर पर्वत के काफी उंचे स्थान पर स्थित है। मंदिर के पास खड़े होने पर बांध पूरा इलाका दिखता है, इसलिए लोगों ने बताया कि जब यह मंदिर पूरा होगा, उस समय इस मंदिरा से नर्मदा और कावेरी का संगम भी साफ तौर पर दिखता होगा। इस मंदिर के पास राजाओं का निवास भी रहा होगा, क्योंकि यहां कई दशक पूर्व हुई खुदाई में ताम्र पत्र और कई सारी चीजें मिली थीं, जो आज भी नागपुर के संग्रहालय में रखी हुई हैं।
पर्वत की खुदाई पर है प्रतिबंध
ओंकार पर्वत पर किसी जमाने में राजवाड़ा रहा है। इसका प्रमाण वहां बने द्वार, मंदिर और अवशेषों से पता चलता है। वहांं कई बार खुदाई में सोने की पुरानी गिन्नियां तक निकल जाती हैं। इसको लेकर पुरतत्व विभाग ने भी खुदाई कराई जब उन्हें भी कुछ एेसे अवशेष मिले तो उस क्षेत्र की खुदाई पर प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रतिबंध के बाद वहां बोर्ड लगाकर चेतावनी जारी किया गया है।
Published on:
04 Sept 2017 01:52 pm
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