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वीडियो स्टोरी: रावण को जानना है तो ‘रक्षेन्द्र पतन’ पढ़ो

समोराह पूर्वक हुआ उदयन के काव्य 'रक्षेन्द्र पतन' विमोचन, अतिथियों ने गृंथ के संग्रह को सराहा

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खंडवा. रामायण के रावण पर आधारित काव्य ‘रक्षेन्द्र पतन’ का मंगलवार को समारोह पूर्वक विमोचन कर दिया गया। स्व. शंकर प्रसाद दीक्षित ‘उदयन’ की इस पुस्तक को उनकी 43वीं पुण्यतिथि के मौके पर किशोर कुमार सभागृह में विमोचित किया गया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ. वेद प्रताप वैदिक, विशेष अतिथि डॉ. प्रभु नारायण मिश्र रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. नीलिम्प त्रिपाठी ने की। कार्यक्रम का सफल संचालन इस पुस्तक को पूर्ण करने में अहम भूमिका निभाने वाली डॉ. वनिता बाजपेयी, अध्यक्ष हिन्दी विभाग, विदिशा ने की।
मुख्य अतिथि वैदिक ने कहा, स्व. दीक्षित ने बाल्मीकि, तुलसी के काम को आगे बढ़ाया है। अब आने वाले भारत में रक्षेन्द्र पतन को पढ़ा जाएगा। यह ग्रंथ हमारे बोलचाल की भाषा में है। जिसके एक एक शब्द मणि माणिक्य जड़े हैं। उन्होंने ग्रंथ की सराहना करते हुए कहा कि राम की कथा अद्भुत है। लेकिन रावण की कथा पहली बार शंकर प्रसाद ने कही है। जिसमें इतिहास से चरित्र का सही चित्रण किया गया है। रावण के चरित्र के हर पहलू पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने रावण के चरित्र पर बात रखते हुए कहा कि रावण की ऐसी कमी है जो नेता, शहंशाह, विद्धवान सबको प्रताड़ित करती है। वह अहंकार की कमी है और अहंकार से मुक्ति दिलाने का मार्ग ही रामायण है। दीक्षित परिवार के लिए उन्होंने कहा कि संगमरमर के महल बनाने से बड़ा काम रक्षेन्द्र पतन को पूर्ण करना है। सलाह देते हुए उन्होंने कहा, पुस्तक का आकार छोटा करें तो लाखों लोग पढ़कर प्रेरणा लेंगे।
रावण के साथ न्याय करने वाला महाकाव्य
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रभु नारायण ने किशोर कुमार की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि रक्षेन्द्र पतन तुलसीदास के कार्य का विस्तार है जो रामचरित मानस को प्रसार देता है। उन्होंने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि रावण के साथ न्याय करने वाला अकेला महाकाव्य रक्षेन्द्र पतन है। यह महाकाव्य न आता तो आने वाली पीढि़यां रावण को वही मानती जैसा भक्तों ने बताया है।
रक्षेन्द्र पतन ने बढ़ाई उत्सुकता
अध्यक्षता कर रहे डॉ. नीलिम्प त्रिपाठी ने रक्षेन्द्र पतन की लेखनी और संग्रह की सराहना अपने शब्दों में ही। रावण पर आधारित इस 620 पृष्ठ के इस ग्रंथ के बारे में सुनने के बाद समारोह में मौजूद लोगों की उत्सुकता बढ़ती गई। कुछ लोगों ने पढ़ने के लिए इस किताब को लिया और सकी सल लेखनी पर भी गौर किया। इस आयोजन में हर्ष वर्धन दीक्षित, शान्तनु दीक्षित, संजय दीक्षित समेत उनके परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे।