भील एक निर्धन जनजाति है। इनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। इसके अतिरिक्त खेतों में मजदूरी, पशुपालन, जंगली वस्तुओं का विक्रय और शहरों में भवन निर्माण में दिहाड़ी मजदूरी पर काम कर अपनी जीवन नैया चलाते हैं। भीलों की आर्थिक विपन्नता का एक प्रमुख कारण आय से अधिक व्यय करना है। भील वधू मूल्य रूपी पत्थर से बंधी शराब के अथाह सागर में डूबती जा रही जनजाति है। ऊपर से साहूकारों व महाजनों द्वारा दिए गए ऋण का बढ़ता ब्याज इस समंदर में बवण्डर का काम करता है। इसके कुचक्र से ये लोग कभी बाहर नहीं निकल पाते है। भीलों की आपराधिक प्रवृत्ति का भी एक प्रमुख कारण यह है कि सामान्य आय से अपनी देनदारियां पूरी नहीं कर पाते। फलत: धन उपार्जन की आशा में गैर वैधानिक तथा अनैतिक कामों में भी संलिप्त हो जाते हैं।
निमाड़ में भील समाज का पुराना इतिहास है। बिटिश शासनकाल में जनता के अधिकारों के लिए अंग्रेजों से लडऩे वाले जननायक शहीद टंट्या भील निमाड़ से थे। उन्हें बिटिश हुकुमत ने इंडियन रॉबिनहुड का खिताब दिया था। इस समय जिले में भील समाज की आबादी करीब दो लाख है। ऐसे में प्रश्न पत्र में समाज को लेकर पूछे गए प्रश्नों को लेकर विरोध बढ़ सकता है।
मैं बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग देकर पीएससी परीक्षा की तैयारी कराता हूं। इसलिए मैं भी परीक्षा में शामिल हुआ। ताकि पेपर का पेटर्न समझ सकूं और प्रशासनिक निर्णय की जानकारी हासिल कर सकूं। परीक्षा नौकरी के लिए नहीं दी। यदि परीक्षा में सफल होता भी हूं तो नौकरी नहीं करूंगा। मैं जनता की सेवा का काम कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा। वहीं आपत्तिजनक प्रश्न पत्र को लेकर लोक सेवा आयोग में शिकायत करूंगा। प्रश्र पत्र बनाने वालों पर कार्रवाई की मांग की जाएगी।