
सौर ऊर्जा से बचा रहे 6.5 लाख रुपए की बिजली
खंडवा (पत्रिका). आमतौर पर जहां सरकारी विभागों का ढर्रा लापरवाहीपूर्ण माना जाता है, वहीं जिले में तीन सरकारी विभाग ऐसे हैं जो ऊर्जा संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। शहर में जिला अस्पताल, जिला पंचायत कार्यालय और कृषि महाविद्यालय में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया गया है। इससे हर माह बिजली की बचत के साथ हजारों रुपए बिल का खर्चा भी बचा रहे हैं। इन विभागों से प्रति वर्ष साढ़े छह लाख रुपए की बिजली की बचत हो रही है।
ऊर्जा संरक्षण को लेकर लोगों में अभी भी जागरुकता की कमी है। इसमें जिला अस्पताल व भगवंतराव मंडलोई महाविद्यालय शामिल है। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष2001 में लागू किया गया था। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो मानक के अनुसार बिजली बचत की जाती है।
जिला अस्पताल: 4.80 लाख की बचत
20 किलोवॉट क्षमता के सोलर पैनल से बिजली खपत को कम कर एक साल में ४ लाख ८० हजार रुपए की बिजली बचा रहे हैं। सिविल सर्जन ओपी जुगतावत ने बताया सौर पैनल लगाने से बिजली बिल में प्रति माह ४० से ४५ हजार रुपए की कमी आई है। इसे नवीन और नवकरणीय ऊर्जा विभाग और मप्र ऊर्जा विकास निगम ने गैर पारंपरिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जिला अस्पताल में सौर ऊर्जा प्लांट लगाया है।
कृषि कॉलेज: 1.25 लाख की बचत
कॉलेज में सौर ऊर्जा का ५ किलोवॉट का सेटअप लगाया गया है। इससे कॉलेज में बिजली के उपकरण चलाए जाते हैं। एलईडी बल्ब और कम वॉट के पंखे चलाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। सालाना आने वाले बिल में अब तक १ लाख २५ हजार रुपए की बचत हो रही है। जिले में आेंकारेश्वर सहित अन्य स्थानों पर सौर ऊ र्जा के लैंप लगे हैं।
जिला पंचायत कार्यालय: यहां भी उपयोग के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगा हुआ है। इसे बिजली बचाने के साथ जिले में सबसे पहले लगाया गया था।
यहां पर लगेंगे मेगा सौर ऊर्जा प्लांट...
- छिरवेल में १ अरब रुपए की लागत १५ मेगावॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की तैयारी चल रही है। आने वाले समय में नवीन और नवकरणीय ऊर्जा विभाग और मप्र ऊर्जा विकास निगम ने गैर पारंपरिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए संयंत्र स्थापित कर रहा है।
- नगर निगम नागचून के पास १० किलोवॉट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की तैयारी कर रहा है। इसकी लागत करीब २५ लाख रुपए आएगी। इससे सालाना दो लाख रुपए की बिजली बचत की जा सकती है।
ऊर्जा संरक्षण ही एकमात्र विकल्प
ऊर्जा को अनावश्यक रूप से चलने वाले विद्युत मोटर, हीटर सहित दैनिक उपयोग की अन्य बिजली उपकरण को कम और आवश्यकता नहीं होने पर नहीं चलाना चाहिए। जीवाश्म ईंधन कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि रोजमर्रा के जीवन में कम उपयोग कर सकते हैं। इसकी मांग बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं। इनके खत्म होने का डर भी रहता है। ऊर्जा संरक्षण ही एकमात्र तरीका है।
डॉ. पीपी शास्त्री, वैज्ञानिक
अधिक रोशनी से बढ़ता है तनाव
कार्यस्थल पर अधिक रोशनी से तनाव, सिरदर्द, रक्तचाप, थकान और श्रमिकों की कार्यकुशलता कम होती है। प्राकृतिक दिन की रोशनी श्रमिकों की उत्पादकता स्तर को बढ़ाती है और ऊर्जा खपत कम करती है।
डॉ. विजय मोहरे, चिकित्सक
Updated on:
14 Dec 2017 01:02 pm
Published on:
14 Dec 2017 12:57 pm
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