
natsamrat natak played in gauri kunj khandwa
खंडवा. एक रंगकर्मी की कहानी को बयां करता नटसम्राट नाटक सीधे-सीधे उसके परिवार और फिर समाज से जुड़ते हुए उसके जीवन में आने वाली कठिनाइयों को बयां कर गया।
गौरीकुंज सभागार में शनिवार को नाट्य मंचन में मौजूदा सामाजिक व आर्थिक ताने-बाने में बुजुर्ग होते व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाते नटसम्राट नाटक ने यह बताया कि व्यक्ति अंत में किस तरह से अकेला पड़ जाता है और महानगरीय संस्कृति में उसे वृद्धावस्था में किस तरह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परिवार में व्यक्ति की महत्ता तब तक ही रहती है जब तक वह कमाता है। जब जीवन में उसे परिवार के सदस्यों की जरूरत महसूस होती है, तब वे उससे दूर जाना चाहते हैं। एकरंग थियेटर सोसायटी भोपाल द्वारा बहुचर्चित व लोकप्रिय नाटक नटसम्राट की प्रस्तुति में कलाकारों ने एक रंगकर्मी के मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक द्वंद्व को सशक्तता से अभिव्यक्त किया। दर्शक उसकी खुशी में खुश हुए तो गम में आंखें नम हो गईं। आयोजन टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्वरंग के अंतर्गत रवींद्रनाथ टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र, डॉ. सीवी रामन् विश्वविद्यालय और वनमाली सृजनपीठ की साझा प्रस्तुति संस्कृति पर्व की दूसरी शाम शनिवार को गौरीकुंज सभागार में हुआ। कलाकारों का स्वागत शॉल, श्रीफल और स्मृति चिह्न से विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमिताभ सक्सेना, कुलसचिव रवि चतुर्वेदी, सहायक कुल सचिव लुकमान मसूद, टैगोर विश्वकला व संस्कृति केंद्र भोपाल के निदेशक विनय उपाध्याय, वनमाली सृजनपीठ अध्यक्ष शरद जैन व उपाध्यक्ष गोविंद शर्मा ने स्वागत किया। 22 सितंबर रविवार को सूफी बैंड मुर्शिदाबादी प्रोजेक्ट की प्रस्तुति गौरीकुंज सभागार में होगी।
गहरे तक भेद गया हर संवाद
मुख्य पात्र गणपतराव वेलवलकर के किरदार में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के गोल्ड मेडलिस्ट स्नातक व मप्र नाट्य विद्यालय के निदेशक आलोक चटर्जी ने अभिनय से दर्शकों के मन को झिंझोड़ दिया। उन्हें भी जीवन के अंतिम पड़ाव में अपनी स्थिति की चिंता सताने लगी। चाहे पत्नी से पूछकर अपने बच्चों के बीच संपत्ति के बंटवारे की बात हो या फिर चोरी के आरोप में घर छोड़कर जाने की बात, हर संवाद की अदायगी ने दर्शकों के मन को गहरे तक भेदा।
कलाकारों ने अभिनय से जीवंत किए पात्र
नाटक के हर एक पात्र में कलाकारों ने अपनी पूरी जान डाल दी। कावेरी वेलवलकर (सरकार) की भूमिका में रश्मि मुजूमदार ने प्रभावशाली अभिनय की अभिव्यक्ति की, जैसे वे इसी परिस्थिति को जी रही हैं। नंदन की भूमिका में प्रेम सबलानी, शारदा-ज्योति दुबे, सुधाकर-संदीप पाटिल, नलिनी-आशी मालवीय, सुहासिनी-अक्षरा अग्रवाल, विठोबा-अश्विन मिश्रा, महादेव-आशीष ओझा, मि. कल?वणकर-हरीश वर्मा, मिसेज कलवणकर-रश्मि आचार्य, साहिल मिश्रा, प्रियेश पाल व अन्य ने अभिनय की सशक्त छाप दर्शकों के हृदय पर अंकित की। मंच व्यवस्था-हरीश वर्मा ने संभाली। प्रकाश परिकल्पना-दिनेश नायर, कमलेश, वेशभूषा परिकल्पना-रश्मि आचार्य, मंच सामग्री- आशीष ओझा, संगीत संचालन-प्रियेश पाल, साहिल मिश्रा, गायन-आलोक चटर्जी, वीनस तरकसवार व उमेश तरकसवार ने किया।
जानिए, नाटक से जुड़े फैक्ट्स...
- मूल रूप से प्रसिद्ध मराठी लेखक व नाटककार वीवी शिरवाड़कर के नाटक नटसम्राट की परिकल्पना व निर्देशन जयंत देशमुख का है।
- देशमुख इन दिनों मुंबई में हिंदी सिनेमा और दूरदर्शन के लिए कई फिल्मों और धारावाहिकों में कला निर्देशन कर रहे हैं, रंगमंच से उनका गहरा नाता अभी भी बना हुआ है।
- मुख्य रूप से आलोक चटर्जी द्वारा अभिनीत इस नाटक का मराठी से हिंदी अनुवाद सच्चिदानंद जोशी ने किया है। आलोक चटर्जी इस नाटक के मंचन से एक दिन पहले हाइ ब्लड प्रेशर व तेज बुखार से पीडि़त होने के बावजूद नाटक के मंचन से खुद को रोक नहीं पाए।
- सन् 1970 में पहली बार नटसम्राट के चरित्र को मशहूर रंगकर्मी व सिने अभिनेता डॉ. श्रीराम लागू ने जीवंत किया था। नाटक के मंचन दिल्ली व मुंबई से लेकर पूरे भारत में सुदूर अंचल तक हो चुके हैं।
Published on:
22 Sept 2019 01:51 pm
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