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खंडवा

दे​खिए, कैसे मुख्यमंत्री ने पढ़ाया पेसा कानून

पंधाना में हुआ पेसा जागरूकता सम्मेलन, टंट्या मामा के नाम पर सड़क मार्ग की घोषणा, वनमंत्री ने रखी संग्रहालय बनाने की मांग

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खंडवा. पेसा जागरूकता सम्मेलन में शामिल होने पंधाना पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, अब भोपाल की नहीं गांव की चौपाल की चलेगी। वह यहां गौरव यात्रा की शुरूआत कर क्षेत्र की जनता को पेसा अधिनियम की खासियत बता रहे थे। जनजातीय को जागरूक करने शुरू हुई इस गौरव यात्रा का समापन 4 दिसंबर को पाताल पानी में होगा। बुधवार दोपहर 2.26 बजे कृषि मंडी प्रांगण में समारोह स्थल पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कन्या पूजन किया। इसके बाद आदिवासी बाल कलाकारों के साथ नृत्य करते हुए वह जनता से मिलते हुए मंच पर पहुंचे। संबोधित करते हुए उन्होंने सबसे पहले कहा पंधाना- घाटाखेड़ी- कालिंगा रोड की तत्काल मरम्मत की जरूरत की बात सामने आई तो 28 करोड़ 43 जाख 48 हजार रुपए स्वीकृत कर दिया है। उन्होंने वनमंत्री विजय शाह और विधायक राम दांगोरे की मांग पर इस मार्ग का नाम टंट्या मामा के नाम पर अमर क्रांतिकारी टंट्या भी रोड रखने की घोषण कर दी।
ये पेसा- पेसा क्या है…
मुख्यमंत्री बोले, बहुत दिन से पेसा- पेसा सुन रहे ये क्या है? इसलिए आज पेसा कानून पढ़ाने आया हूं। पेसा कानून किसी भी जाति के खिलाफ नहीं है। यह आदिवासी समुदाय को कैसे मजबूत करें, इसके प्रावधान दिए हैं। यह कानून 89 ब्लाकों में लागू होगा। ग्राम सभा के माध्यम से यह लागू किया जाएगा। सभी जाति के लोग इसमें रहेंगे।
कोई गड़बड़ ना कर पाए
सबसे पहले जमीन का अधिकार, इसमें पटवारी और वन विभाग के बीट गार्ड हर साल जमीन का रिकॉर्ड जनता के बीच रखेंगे। ताकि पता चले कौन जमीन किसके नाम है। अगर जमीन किसी और के नाम चुपके से की तो उसको मामा लटका देगा, छोड़ेगा नहीं। ग्राम सभा को गलती सुधारने का अअधिकार होगा। किसी अफसर की मनमानी नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार को बांध या अन्य प्रयोजन के लिए जरूरत पड़ी तो ग्राम सभा की अनुमति से ही जमीन ले सकेंगे।
ग्राम सभा तय करेगी
रेत, गिट्टी की खदान, तालाब किसे देना है, यह ग्राम सभा तय करेगी। अब सरकार तय नहीं कर सकती। वनोपज पर सरकार का अधिकार नहीं होगा। जनता ही उसे ग्राम सभा के माध्यम से रेट तय कर बेच सकेगी। अब मजदूरों को काम पर दूसरे शहर या प्रदेश लेकर जाना है तो ग्राम सभा को सूचना देनी होगी। ताकि बंधुआ मजदूर नहीं बन सकें और जरूरत पर उन्हें मदद दी जा सके। शराब, भांग की दुकान गांव में खुले या नहीं यह भी ग्राम सभा तय करेगी। उसका स्थान परिवर्तन भी कलेक्टर के माध्यम से करा सकते हैं।
साहूकार को तय ब्याज ही देना
साहूकारी प्रथा पर मुख्यमंत्री ने कहा कि साहूकार को लायसेंस लेना जरूरी है। नियमों के तहत ही ब्याज देना है। अगर ज्यादा लेता है तो कलेक्टर, एसपी इस पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि गांव में छोटे झगड़े, आपसी विवाद हुए तो उनका निपटारा करने के लिए शांति एवं विवाद निवारण समिति बनेगी। अगर पुलिस किसी की शिकायत लेती है तो वह भी इस समिति को सूचित करेगी कि किसके खिलाफ क्या शिकायत हुई है। आगंनवाड़ी, राशन दुकान, स्कूल में सब कुछ ठीक चले इसका ध्यान भी ग्राम सभा रखेगी। गड़बड़ होने पर प्रशासन को शिकायत करें।
यह रहे आयोजन में मौजूद
पेसा जागरूकता सम्मेलन में वनमंत्री डॉ. विजय शाह, सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, विधायक राम दांगोरे, देवेन्द्र वर्मा, नारायण पटेल, महापौर अमृता यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष कंचन तनवे, डॉ. दीपमाला रावत, भामगढ़, विषय विशेषज्ञ, आदिवासी विभाग, राजभवन, भोपाल समेत अन्य मौजूद रहे।