
Ten jawans arrive in Army from Village Siloda in Khandwa district
खंडवा. गण की भागीदारी से ही तंत्र मजबूत होता है। इसका सबसे अद्वितीय उदाहरण गणतंत्र दिवस पर इस गांव से बेहतर भला और क्या हो सकता है। इस गांव ने सेना को अब तक दस सैनिक दिए हैं। बीएसएफ में भी गांव का प्रतिनिधित्व है। ये सबकुछ संभव हो पाया, यहां की मिट्टी में देशभक्ति की जिद से। गणतंत्र दिवस के मौके पर ये सकारात्मक स्टोरी दूसरों के लिए भी प्रेरणादायी है।
खंडवा जिला मुख्यालय से महज 8 किमी की दूरी पर बसे ग्राम सिलोदा की ये असली कहानी है। 90 के दशक में यहां के युवाओं का सेना में जाने का सिलसिला शुरू हुआ जो अब कारवां में बदल गया है। वीर सपूतों के इस गांव से अब अन्य युवा सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
अब तक ये पहुंचे हैं सेना में
1995 में पहली बार नारायण पटेल ने इस गांव से निकलकर सेना में दस्तक दी थी। इसके बाद तुलसीराम पटेल, राकेश पटेल, ओमप्रकाश पटेल, जितेंद्र पटेल, महेश पटेल, राजेश शर्मा, सुभाष खोदरिया, भारत पटेल सेना में पहुंच चुके हैं। यहां के कालू पटेल ने भी सेना में सेवाएं दी। छुट्टियों में आए तो एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई।
खेती-किसानी थी गांव की पहचान
सिलोदा गांव की पहचान खेती और किसानी से होती रही लेकिन अब लोग इसे वीर सपूतों के गांव के नाम से भी जानते हैं। यहां का बजरंग बली का मंदिर भी अनूठा है। ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव के युवाओं को सुविधाओं के लिए हांलाकि खंडवा पर निर्भर रहना पड़ता है। पढ़ाई के लिए भी शहर आना पड़ता है लेकिन युवाओं का जज्बा बिल्कुल भी कम नहीं है।बॉक्सजज्बे और जोश से भरे युवा कर रहे हैं तैयारीगांव के अजय, विशाल, सागर, दीपांशु पटेल व आशीष गिन्नारे, लवकुश गिन्नारे, रविन पटवारिया सहित अन्य युवा सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं। जज्बे और जोश से भरे इन युवाओं का कहना है कि हमारे सामने हमारे ही वरिष्ठजन ने उदाहरण पेश किया है। हम उनके नक्शे कदम पर चलकर देश की सेवा करना चाहते हैं। यहां के युवाओं का कहना है कि इस भूमि में जन्म लिया है तो यहां की माटी का कर्ज चुकाने के लिए हमें सदैव तैयार रहना चाहिए।
Published on:
27 Jan 2018 11:56 am
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