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TIGER : निमाड़ में चार टाइगर, रास आया वातावरण, डेढ़ गुना बढ़ा तेंदुओं का कुनबा

वन विभाग की ओर से पूरे प्रदेश के बाघों और तेंदुओं की जनगणना रिपोर्ट जारी की गई। चार साल बाद जारी हुई वन्यजीव जनगणना की सूची...

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khandwa census tiger

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खंडवा. जिले के वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। इससे जिले में आने वाले समय में इनको देखने का अवसर भी मिल सकेगा। वन विभाग की ओर से पूरे प्रदेश के बाघों और तेंदुओं की जनगणना रिपोर्ट जारी की गई। चार साल बाद जारी हुई वन्यजीव जनगणना की सूची के आधार पर पूरे प्रदेश में 308 बाघ और 1848 तेंदुआ पाए गए हैं। इनमें खंडवा में इनकी संख्या कुल 46 से अधिक बताई गई। जबकि यह संख्या 2014 तक मात्र 28 ही थी। चार साल में डेढ़ गुनी बढ़ी इस संख्या से जिले के वन क्षेत्र में अब इनकी चहल कदमी आसानी से देखी जा सकती है।

इसलिए बढ़ रही संख्या
आेंकारेश्वर और इंदिरा सागर बांध के बनने से गांवों का विस्थापन हो गया है। एेसे में केवल पानी और जंगल बचा है। इससे उन क्षेत्रों में वन्य जीवों के लिए अनुकूल वातावरण मिल रहा है, वहीं पर्याप्त भोजन भी मिल रहा है। इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जबकि अन्य जिलों में भी पकड़े जाने वाले तेंदुओ को भी ओंकारेश्वर और नर्मदा नगर के जंगलों में ही छोड़ा जा रहा है। इससे भी इनकी संख्या बढ़ रही है।

खंडवा में दो बाघों के रहने की मिली है जानकारी
खंडवा में पिछले एक साल से दो बाघ रह रहे हैं, इसकी पुष्टी वन विभाग ने ट्रैपिंग कै मरे लगाकर की है। एक नर और एक मादा है। पहले खंडवा के जगलों में बाघों को लाने के लिए वन विभाग अभी तैयारी ही कर रहा था। इनकी जानकारी मिलने के बाद वन विभाग उनके कुनबों की संख्या को बढ़ाने की तैयारी में हैं। इसलिए दूसरे जंगलों से चीतल, सांभर लाकर यहां छोड़े जा रहे हैं।

मध्यप्रदेश में रह रहे 352 टाइगर
मध्य्रपदेश में टाइगर की संख्या 352 है। सर्वाधिक संख्या शहडोल बांधवगढ़ में है। यहां 64 बाघ रहे हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा बाघ मंडला में है। यहां लगभग 62 बाघ रह रहे हैं। सिओनी में 44 बाघ रह रहे हैं। इसी तरह बालाघाट के बैहर तहसील में 40 बाघ हैं। निमाड़ में बाघों की संख्या 4 है। इसमें खंडवा में 2 और बुरहानपुर में 2 बाघों ने अपना बसेरा बनाया है।

निमाड़ में ये है तेंदुओं की संख्या

खंडवा-46
खरगोन- 25
बुरहानुपर-26
बड़वानी -06

चार साल बाद आई जनगणना रिपोर्ट
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की ओर से 2014 में सभी जंगलों में वन्य जीवों की जनगणना कराई गई थी। इसमें जगलों से जुटाए गए सबूतों के आधार पर यह जनगणना रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है। इससे तय है कि जंगल वन्य जीवों के अनुकूल है। अब इनको सहेजने के लिए शासन से सुविधाओं की मांग की जाएगी।
आरडी महला,सीसीएफ खंडवा

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