
खरगोन. खरीफ सीजन में इस बार 2 लाख 20 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में कपास की खेती की जाएगी। पारंपरिक पद्धति के साथ ही इस बार हाई डेंसिटी प्लांटेशन सिस्टम (एचडीपीएस) तकनीक से करीब 5 हजार हेक्टेयर रकबे में किसान खेती करेंगे। इसके लिए कपास अनुसंधान केंद्र नागपुर सहित राष्ट्रीय बीज कार्पोरेशन से 21 क्विंटल बीज बुलाया गया है। इन बीजों को किसानों को फसल प्रदर्शन कार्यक्रम अंतर्गत उपलब्ध कराया जा रहा है। बैजापुरा के कृषक मोहन सिसोदिया ने बताया कि उन्होंने एचडीपीएस सिस्टम से एक एकड़ में 12 क्विंटल तक कपास का उत्पादन लिया है। जबकि सामान्य पद्धति से आठ क्विंटल तक उत्पादन होता था। जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है उन्हें 25 मई के बाद कपास की बोवनी की सलाह दी जा रही है।
जिला कपास उत्पादन के लिए पहचाना जाता है। एचडीपीएस को लेकर पत्रिका ने छह अक्टूबर 2023 को कृषि कल्चर पेज पर ’तकनीक अपनाई तो 30-40 प्रतिशत तक बढ़ा कपास उत्पादन’ शीर्षक से प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। इस प्रयोग को लेकर कृषि विभाग ने केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र नागपुर के समक्ष योजना बताई। इस पर अनुसंधान केंद्र ने इसे पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल किया है। प्रोजेक्ट के माध्यम से अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ कपास उत्पादन बढ़ेगा।
बीज की मात्रा : पारंपरिक पद्धति में 1.25 से 1.50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर लगता है। जबकि एचडीपीएस में 5 से 6 किलो बीज एक हेक्टेयर में लगता है।
पौधों की संख्या : पारंपरिक पद्धति में 20 से 25 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर लगते हैं। जबकि एचडीपीएस में 55 से 60 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर में लगते हैं।
पौधे व कतार की दूरी : पारंपरिक पद्धति में पौधे से पौधे की दूरी 2 से 3 फीट व कतार से कतार की दूरी 4 से 5 फीट होती है। एसडीपीएस में पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर व कतार से कतार की दूरी 2 से 3 फीट होती है।
अधिकतम उत्पादन : पारंपरिक पद्धति से 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। जबकि एसडीपीएस पद्धति से 25 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन किसान ले सकते हैं।
उत्पादन में बढ़ोतरी होगी
जिले में 2 लाख 20 हजार हेक्टेयर में कपास की बाेवनी का लक्ष्य रखा गया है। करीब 5 हजार हेक्टेयर में हाई डेंसिटी प्लांटेशन से बोवनी का लक्ष्य है। इसके लिए किसानों को बीज उपलब्ध कराने के साथ ही तकनीकी सलाह दी जा रही है। इस पद्धति से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। -एमएल चौहान, उपसंचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, खरगोन
Published on:
11 May 2024 03:30 pm
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