18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खरगोन में १०५ आंगनवाड़ी केंद्र, ९५ किराए के मकान में हो रहे संचालित

सरकारी भवनों में चल रहे केंद्रों में सुविधाओं का नामोनिशान नहीं, न बिजली न पीने के लिए पानी उपलब्ध है सरकारी भवनों में, खाने से लेकर बच्चों की संख्या

2 min read
Google source verification

खरगोन

image

Hemant Jat

Dec 22, 2017

Anganwadi News Khargone

Anganwadi News Khargone

खरगोन. आंगनवाडिय़ों को लेकर सरकार की मंशा चाहे कुछ हो, लेकिन जमीनी हकीकत में यह केंद्र बेहद ही चिंताजनक हालात में पहुंच चुके हैं। सिर्फ खरगोन के केंद्रों की बात करें तो यहां १०५ केंद्रों में से ९५ केंद्र किराए के आशियाने में चल रहे हैं। जो केंद्र सरकारी भवनों में चलाए जा रहे हैं, वहां मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है। केंद्रों को बेहतर दिखाने के लिए आंकड़ों का फरेब भी जमकर किया जा रहा है। पत्रिका ने जब कुछ केंद्रों का जायजा लिया तो केंद्रों में इक्का दुक्का ही बच्चे मिले। नियमानुसार एक केंद्र संचालित करने के लिए कम से कम ३० बच्चों का रजिस्टे्रशन होना जरुरी है। गौर करने लायक बात यह है कि बच्चों की पंजीयन तो १०० से ज्यादा है, लेकिन उपस्थित नगण्य है।

केस एक
स्थान : वार्ड नंबर ११ का आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक -३
समय : दोपहर के १२ बजे (केंद्र का समय दोपहर दो बजे तक)
ये थी तस्वीर: यहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और एक सहायिका मौजूद हैं। लेकिन बच्चों के नाम पर केवल एक छोटा बच्चा मौजूद। एक हितग्राही महिला भी है और उसके साथ बेहद छोटा बच्चा भी। केंद्र में रजिस्टर्ड बच्चों की संख्या १३०। १३० में से एक बच्चा ही क्यों है? इस सवाल का जवाब था ३६ आए थे। अभी अभी सब घर चले गए। यह दो बच्चे अभी आए हैं। भवन किसका है तो बताया गया एक हजार रुपए मासिक किराए पर लिया गया है।

केस-दो
स्थान : वार्ड नंबर ११ का आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक -१९
समय : दोपहर के १२. १० बजे
ये थी तस्वीर- केंद्र पर कार्यकर्ता और सहायिका के अलावा दो बच्चे मौजूद थे। रिकॉर्ड में १३६ बच्चे दर्ज हैं। बच्चे दो ही क्यों है पूछा तो जवाब मिला ३० बच्चे आए थे। अभी अभी घर चले गए। बच्चों की परीक्षा थी इसलिए वे चले गए। खाने की स्थिति पूछने पर पता चला ३ से ६ वर्ष तक के बच्चों के लिए खाना आता है। ऐसे बच्चों की संख्या ६२ हैं, लेकिन खाना ३०-४० के हिसाब से ही आता है। जब पूछा गया कि कम खाना बच्चों में कैसे बांटा जाता है, तो जवाब मिला जब बच्चे ज्यादा होते हैं तो थोड़ा-थोड़ा देकर सबको बांट देते हैं। मतलब बच्चों के खाने में भी समझौता यहां आम बात हैं। भवन किराए का है, १३५० रुपए मासिक किराया दिया जाता है।

केस तीन
स्थान : वार्ड नंबर ३ का आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक -६
समय : दोपहर के १२ .२०
ये थी तस्वीर- महिला बाल विकास विभाग के दफ्तर से चंद कदमों की दूरी पर मौजूद हैं यह केंद्र। सरकारी भवन में संचालित किए जाने वाले इस केंद्र में बिजली के नाम पर एक वायर भी नहीं हैं। केंद्र के पास ही गंदी नाली बनी है। कार्यकर्ता ने बताया कि बच्चे कई बार नाले में हाथ तक डाल देते हैं। यहां रजिस्टर्ड बच्चे ११२ के करीब हैं। लेकिन मौजूद बच्चे सिर्फ पांच छह ही है। सहायिका ने बताया कि हर दिन १० से १२ बच्चे आते हैं। खाना ३५ बच्चों के लिए आता हैं। सवाल यह है कि जब बच्चे १० से १२ ही आते हैं तो ३५ बच्चों का खाना कैसे आता है?

औचक निरीक्षण करेंगे
यदि यह स्थिति है, तो तत्काल औचक निरीक्षण करके कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को निर्देशित कर लगातार मॉनिटरिंग करेंगे।
अशोक कुमार वर्मा, कलेक्टर