
ललित सोनी
ऊन (खरगोन)। भगवान भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में मिलेंगे। ऐसा ही एक दुर्लभ मंदिर है बिजागढ़ महादेव (bijagad mahadev)। खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर स्थित महादेव मंदिर सतपुड़ा की गोद में बसा है। जहां खुद प्रकृति मंदिर का श्रृंगार कर रही है। बारिश के बाद इस स्थान का सौंदर्य निखर आया है। हरियाली व सुदंरता देखने लायक हो गई है। सावन मास में प्राचीन शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर.दूर से श्रद्धालु आ रहे हैं। खासकर सोमवार को भीड़ रहती है। पहाड़ चढऩे के बाद ओर भी ऐतिहासिक तालाब व किले मिलते है। कहा जाता है यहां 7 तालाब है और जिसमें से पांच तालाब पर जा सकते है पर 2 पर जाना बहुत दुर्गम है।
200 साल पुराना इतिहास
ग्रामीण धनंजय पांडेय ने बताया बिजागढ़ होलकर राज के समय स्टेट हुआ करता था। कचहरी भी लगती थी। करीब 200 सालों का इतिहास तो लिखा हुआ है। 70 साल पहले हरिशरण पांडेय जो बिजागढ़ बाबा के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने यहां आकर महादेव के दर्शन के लिए घने जंगलों को कटवाकर रास्ते बनवाए। बिजागढ़ बाबा के जाने के बाद उनके पुत्र मुन्ना बाबा जिनको भी बिजागढ़ बाबा ही कहा जाता है। उन्होंने बिजागढ़ की गादी संभाली।
बीजागढ़ महादेव टेंपल (Bijagad Mahadev mandir) के अलावा सतपुड़ा की पर्वत श्रंखलाओं के बीच यहां सात तालाब हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। इन दिनों बारिश में सभी तालाब लबालब भर गए हैं। यहां का प्राकृतिक नजारा देखने के लिए भी लोग पहुंचते हैं और फोटोग्राफी के लिए भी अच्छा स्थान है।
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Updated on:
04 Aug 2022 06:32 pm
Published on:
04 Aug 2022 06:24 pm
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