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रोज ५०० लीटर दूध उत्पादन कर हर माह ४.५० लाख रुपए कमाता है किसान

दिनेश का कहना है आठवीं तक पढऩे के बाद स्कूल भी छूट गया। लेकिन दिनेश के सपने बड़े थे। उसने दूध उत्पादन का कारोबार शुरू किया और उसमें सफलता के शिखर तक प

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खरगोन

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Hemant Jat

Jan 11, 2018

Dinesh Patel removing cows milk from the machine in the dairy form.

Dinesh Patel removing cows milk from the machine in the dairy form.


खरगोन. कपास और मिर्च के उत्पादन में खरगोन जिले की कीर्ति देश और विदेशों तक फैली हुई है। इससे दो कदम आगे बढ़कर जिले के किसान अब दूध उत्पादन में भी हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों को टक्कर दे रहे हैं।
कसरावद तहसील का छोटा-सा ग्राम जिरभार आदर्श गांव के रूप में उभरकर सामने आया है। इस गांव को पहचान दिलाई है दिनेश पिता खुशहाल पटेल ने। दिनेश ने गांव में छोटे स्तर से दूध उत्पादन शुरू किया था। वर्तमान में खेत पर डेयरी बनाकर प्रतिदिन ५०० लीटर दूध उत्पादन किया जा रहा है। इससे हर महीने करीब साढ़े ४ लाख रुपए की कमाई होती है। दिनेश उन युवाओं के लिए भी एक उदाहरण है, जो नौकरी के लिए शहर की दौड़ लगा रहे हैं। इस मुकाम के लिए दिनेश को ब्लॉक और जिला स्तर पर उत्कृष्ट पशुपालन का अवॉर्ड भी मिला है। जिले में पिपलगोन, घोटिया, इच्छापुर, नंदगांव, बरुड़, उमरखली आदि ऐसे गांव हंै, जहां दूध उत्पादन बड़े पैमाने पर हो रहा है।

निमाड़ के चार जिलों में अव्वल खरगोन

जिले में बहुत कम लोगों को पता होगा कि खरगोन की गिनती दूध उत्पादन में सबसे ऊपर होती है। जी हां, खरगोन निमाड़ के चारों जिलों में दूध उत्पादन करने में सबसे आगे हैं। सांची दूध केंद्र खरगोन से मिली जानकारी के अनुसार जिले में प्रतिदिन लगभग ९० हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। इससे ११ लाख रुपए की आय किसानों को होती है। किसानों की इसी मेहनत से खरगोन आसपास के जिले खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, धार, आलीराजपुर जिलों से भी दूध उत्पादन में अव्वल है।

ऐसे हुई शुरुआत
२००० में एक गाय और एक भैंस से दूध उत्पादन शुरू किया था। वर्तमान में दिनेश के यहां डेयरी में लगभग १७५ छोटे-बड़े मवेशी हंै। इसमें दुधारु पशुओं की संख्या १०० के लगभग है। बकौल, दिनेश उन्होंने आज तक एक भी गाय या भैंस खरीदी और ना ही बेची। वह दो साल में दूध उत्पादन एक हजार लीटर तक ले जाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने डेढ़ एकड़ खेत में आधुनिक डेयरी फॉर्म खोल रखा है। जहां मशीनों से दूध निकलता है।

मेहनत से पाया मुकाम
परिवार की आर्थिक तंगहाली के चलते दिनेश को किसी जमाने में लोगों के घर मजदूरी करने जाना पड़ता था। दिनेश का कहना है वह गांव में ही किसानों के पशु चराया करते थे। इससे मिलने वाली मजदूरी से परिवार का पेट भरता था। इस चक्कर में आठवीं तक पढऩे के बाद स्कूल भी छूट गया। लेकिन दिनेश के सपने बड़े थे। उसने दूध उत्पादन का कारोबार शुरू किया और उसमें सफलता के शिखर तक पहुंचे।

जिले में एक दिन में ८० से ९० हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। यह किसानों की मेहनत का परिणाम है। हालांकि उत्पादन की तुलना में खपत कम होने से बड़ी मात्रा में दूध इंदौर भेजना पड़ रहा है। -एनपी साहू, प्रबंधक सांची दूध प्लांट खरगोन