15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महेश्वर परियोजना बचाने की कवायद शुरू 

बिजली और पानी के बकाया 1.54 करोड़ का भुगतान हुआ,  टर्बाइन क्षेत्र का पानी निकालने और गेट के मेंटेनेंस का ठेका दिया डायरेक्टर डैम सेफ्टी की बैठक में लिया निर्णय, पीएफसी ने उठाया जिम्मा

2 min read
Google source verification

image

Editorial Khandwa

Jun 18, 2016

govt seroiuos on maheshwar bijli project

govt seroiuos on maheshwar bijli project



खरगोन. मृतप्राय: पड़ी महेश्वर परियोजना में अब जान आती नजर आने लगी है। परियोजना के तहत अरबों रुपए की राशि से तैयार हुए अब तक ढांचे को बचाने के लिए अब सरकार सक्रिय हुई है। मध्यप्रदेश पॉवर फायनेंस कार्पोरेशन इसके लिए आगे आया है और परियोजना की काटी गई बिजली और पानी के कनेक्शन के बकाया बिलों का भुगतान किया जा चुका है। अब प्लांट में 700 केवीए का नया बिजली कनेक्शन लिया जा रहा है।
इससे बांध के टर्बाइन एरिया में भरे में पानी की डिवॉटरिंग की जाना सुनिश्चित हो गई है। इसके साथ ही पांच साल से खुले हुए हाड्रोलिक गेट के मेंटेनेंस का ठेका भी दे दिया गया है। मानसून से पहले इन कामों को पूर्ण कर लिया जाएगा। वेतन की मांग को लेकर कर्मचारियों द्वारा किए गए आंदोलन और कोर्ट में रहे प्रकरण के बाद जहां कोर्ट महेश्वर परियोजना के प्रमोटर और एस. कुमार्स समूह के डायरेक्टर मुकुल कासलीवाल की गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने के प्रयास में है वहीं मध्यप्रदेश पॉवर फायनेंस कार्पोरेशन प्रदेश की इस महती परियोजना को बचाने की जुगत में लग गई है।
परियोजना की 24 सितंबर 2015 से बंद बिजली को चालू कराने के लिए पीएफसी ने के एक करोड़ एक लाख रुपए एवं पानी के लिए 53 लाख रुपए जमा करा दिए हैं वहीं नए बिजली कनेक्शन के लिए 25 लाख रुपए की राशि मप्रविविकं में भुगतान कर दी गई है।
बैठक के बाद हुआ फैसला
पिछले दिनों भोपाल में आयोजित डायरेक्टर डैम सेफ्टी की बैठक में महेश्वर परियोजना के टर्बाइन क्षेत्र में भरे पानी और पांच साल से खुले पड़े बांध के गेट का मामला उठा। दोनों ही मामले परियोजना के बेहद खतरनाक हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पीएफसी ने इनके सुधार की जिम्मेदारी उठाई। गौरतलब है कि पीएफसी के 700 करोड़ रुपए परियोजना में लगे हुए हैं।
यह तीन कामों को प्राथमिकता
विद्युत कनेक्शन: परियोजना स्थल अब भी 250 कर्मचारी परिवार रह रहे हैं। इसके साथ ही परियोजना में मेंटेनेंस के लिए यहां लगे 500 केवीए का विद्युत कनेक्शन काट दिया गया था। इसकी बहाली के लिए पीएफसी ने राशि जमा करा दी है।
डिवाटरिंग: परियोजना में तीन टर्बाइन लगाए जा चुके हैं। शेष टर्बाइन के निर्माण के दौरान परियोजना का काम बंद कर दिया गया था। अधूरे बने टबाईन क्षेत्र में लगातार घुस रहे पानी को निकालने को प्राथमिकता में लिया गया है।
बांध के गेट: परियोजना के तहत बांध में 240 टन वजन के 27 गेट पांच साल से खुले पड़े हैं। यह गेट जमीन पर टिके रहने के लिए डिजाइन किए गए थे। गेट पर पे्रशर लॉक है अब इसका मेंटेनेंस किया जाएगा।
मुंह नहीं खोल रहे अधिकारी
परियोजना स्थल पर शुरू किए गए कामों को लेकर जहां पीएफसी ने राशि रिलीज कर दी है वहीं कंपनी के अधिकारी अब भी चुप्पी साधे बैठे हैं आलांकि कंपनी के अतिरिक्त महाप्रबंधक मुकेश बागडिय़ा यह जरूरी स्वीकार करते हैं कि बिजली, पानी और मेंटेनेंस के लिए राशि रिलीज कर दी गई है। काम भी मानसून पूर्व तक कर पूरा कर लिया जाएगा।
पत्रिका के मुद्दों पर काम
कर्मचारियों के आंदोलन के दौरान पत्रिका जिन मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था वे सभी गंभीर मुद्दे थे। इन्हीं मुद्दों पर पीएफसी ने काम करने का मन बनाया है। प्रमोटर, सरकार और कर्मचारियों के बीच विवाद में फंसी परियोजना को सहेजने के लिए इसे पहली कड़ी माना जा सकता है।