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नर्मदा की नहरों में पानी नहीं, सूख गई किसानों की उम्मीदें

-लहलहाती फसलों की उम्मीद अधूरी, सैकड़ों गावों के हिस्से आया सूखा, नर्मदा से जुडी सिंचाई परियोजनाओं का सच  

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 Narmada linked irrigation project

Narmada linked irrigation project

खरगोन. निमाड़ की धरती को नर्मदा के पानी से सींचने और गांवों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए शुरू की गई माइक्रो सिंचाई परियोजनाएं दशक बाद भी पूरी नहीं हो पाई हैं। सरकारी घोषणा में योजना से लाभान्वित होने वाले गांवों के किसान अब भी नर्मदा पानी का इंतजार कर रहे हैं। इसकी सिंचाई से लहलहाती फसलों की उम्मीद लगाए किसानों के हिस्से उनके मुरझाते चेहरे औ सूखती फसलें आई हैं। इससे उत्पादन तो कम हुआ ही है, आर्थिक पिछड़ापन भी बढ़ गया है।
निमाड़ की सबसे पुरानी योजना खरगोन उद्वहन सिंचाई परियोजना अब तक अधूरी है। जिस पर शासन की करीब 700 करोड के अधिक राशि खर्च हो चुकी है। इस योजना पर 2010 में पर काम शुरू हुआ और यह 2023 में भी पूर्ण नहीं हो पाई है। इससे खरगोन शहर सहित 152 गांवों में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति होनी थी। जिसमें 33140 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होना था, लेकिन अभी भी करीब एक तिहाई क्षेत्र इससे सीधे तरीके से जुड़ नहीं पाया है। तीन चरणों में पूरी होने वाली योजना में बीआर वन छिर्वा बीआर—2 पिपलई और बीआर—3 पिपरी में डेम बनना था, छिर्वा डैम से सीधे पीपरी तालाब में पानी भेजा जा रहा है, जबकि पिपलई डैम अभी अधूरा है।
इसी तरह बिस्टान उद्वहन योजना में तीन तहसीलें खरगोन, गोगावां और भगवानपुरा के 92 गांवों में 22 हजार हेक्टेयर में सिचाई और पयेजल व्यवस्था प्रस्तावित है। 375 करोड़ की योजना 2017 में शुरु हुई, अप्रैल 2021 तक पूरा होना था काम, लेकिन अभी केवल एक चरण का काम पूरा हुआ है। निमाड़ में प्रमुख रूप से खरगोन उद्वहन सिंचाई परियोजना, आइएसजी पार्वती फेज-वन- तीन. आइएसजी पार्वती फेज-टू, खालवा उद्वहन सिंचाई परियोजना-खंडवा, झिरन्या उद्वहन, जावर उद्वहन, भीकनगांव-बिंजलवाड़ा, अंब-रोडिया-सिंचाई परियोजना, चौंड़ी-जामनिया, पीपरी उद्वहन सिंचाई, नागलवाड़ी उद्वहन सिंचाई, पाटी उद्वहन सिंचाई, मोरण गंजा- परियोजना, हंडिया उद्वहन परियोजनाएं चल रही है। पुनासा माइक्रो एरीगेशन, छैगांव माखन माइक्रो एरीगेशन, बलकवाड़ा—खरगोन, नांगलवाड़ी— बड़वानी सिंचाई योजनाओं पर काम चल रहा है, लेकिन अभी तक एक भी योजना को पूर्णता प्रमाण-पत्र नहीं मिल पाया है।
इसलिए भी जरूरी नहरें
नर्मदा न्यायाधिकरण ने 1979 में नर्मदा के जल का बंटवारा किया था। जिसमें सालभर में बहने वाले नर्मदा के पानी की मात्रा 28 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) मानते हुए 9 एमएएफ गुजरात को, 0.50 एमएफ राजस्थान, 0.25 एमएएफ महाराष्ट्र और बाकी 18.25 एमएएफ मप्र को आवंटित किया है। जल न्यायाधिकरण के समझौते के अनुसार 2024 के बाद गुजरात अपने हिस्से का पानी मप्र को नहीं लेने देगा। अपने हिस्से के पानी का लेने के लिए मप्र को नहरों के माध्यम से उपयोग करना जरूरी है।

अभी बैलेंस वर्क का काम चल रहा
खरगोन उद्वहन योजना में 33 हजार हेक्टेयर सिंचाई का लक्ष्य है। कुछ इलाकों में पानी नहीं पहुंचा। अभी बैलेंस वर्क का काम चल रहा है। योजना जल्दी ही पूरी हो जाएगी।
-एमएस परस्ते, कार्यपालन यंत्री, नर्मदा विकास संभाग क्र.18