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एनटीपीसी प्लांट से छोड़ा पानी, खेत दलदल में तब्दील, किसान परेशान

सेल्दा प्लांट से तालाब में पानी छोडऩे के बाद 50 किसानों की फसल चौपटखेतों में गड्ढा खोदने पर तीन फीट में निकल रहा पानीपूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस ने अधिकारियों की ली बैठक, जांच दल गठित

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खरगोन. सेल्दा डालची क्षेत्र के एनटीपीसी का प्लांट शुरू होने के बाद 50 से अधिक किसानों के खेतों की जमीन दलदली हो गई है। जहां विगत तीन साल से किसानों की फसलें खराब हो रही और उन्हें आर्थिक नुकसान उठना पड़ रहा है। दरअसल, प्लांट से पानी छोडऩे की आसपास जमीन दलदली हो गई। किसानों ने बताया कि पूर्व में 7 से 8 फीट तक पानी नहीं निकलता था। लेकिन जब से प्लांट शुरू हुआ है।

तब से वहां का पानी जमीनों के अंदर जाकर ओवरफ्लो हो रहा है। वही नलकूप कुंओं का भी जलस्तर लगातार बढ़ा हुआ है। इसी कारण तीन साल से फसल नहीं लगा पा रहे हैं। इस संबंध में एनटीपीसी के अधिकारियों का ध्यान दिलाया गया। लेकिन किसी भी अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दिया।

शुक्रवार शाम को पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस किसानों की समस्या पर संज्ञान लेते हुए एनवीडीए रेस्ट हाउस पर एनटीपीसी और राजस्व अधिकारियों की बैठक ली। किसानों ने कहा कि उन्हें तीन सालों में जो नुकसान उसकी भरपाई करते हुए अनुपयोगी जमीन का मुआवजा दिया जाए। किसानों की समस्या के निराकरण के लिए जांच दल बनाया गया जो 15 दिन में अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को प्रस्तुत करेगा।

एनटीपीसी अधिकारी को दिए निर्देश
चिटनीस ने किसानों की एक एक समस्या पर अधिकारियों का ध्यान दिलाया। वहीं एसडीएम जैन को 10 अलग-अलग मुद्दों पर क्रम अनुसार कार्रवाई करने की बात कही। जिससे किसानों को होने वाली समस्या का स्थाई निराकरण हो सके। चिटनीस ने एनटीपीसी के एचआर जेपी सत्यकाम से भी फोन पर चर्चा कर किसानों की समस्याओं के संबंध में अवगत कराते हुए इसके समाधान के निर्देश दिए। इस दौरान प्रभात उपाध्याय, अनिल अजमेरा, जय करोडा, वारिश जैन, यश गोधा, कपिल जटाले सुकेश पंचोलिया, राहुल हिरोडिया सहित कार्यकर्ता मौजूद थे।

दो घंटे चला विचार मंथन
चिटनीस ने एसडीएम अनुकूल जैन, नायब तहसीलदार कृष्णा पटेल सहित डब्ल्यूआरडी के केके सोलंकी, कृषि विभाग के बीएस सेंगर एवं एनटीपीसी के अधिकारियों के साथ करीब दो घंटे बैठक की। बैठक में एक-एक किसान से उसकी समस्या पूछी गई। किसानों ने बताया विगत तीन सालों से अपनी समस्या से अधिकारियों को अवगत कराते आ रहे हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। गत वर्ष कृषि विभाग जमीनों की जांच की गई थी। किंतु समाधान नहीं हुआ। इस दौरान सनावद, बेडिय़ा ग्रामीण क्षेत्र के किसान एवं भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे।