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प्रवासी पक्षियों के लिए नया बसेरा बनते बांकुड़ा के जलाशय

. प्रवासी पक्षियों के लिए बांकुड़ा जिले के मुकुटमणिपुर बांध और आसपास के जलाशयनया बसेरा बनते जा रहे हैं। राज्य वन विभाग के सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। इसके अलावा सुंदरवन, हावड़ा में सांतरगाछी झील और रायगंज के कुलिक पक्षी अभ्यारण्य में भी हर साल सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं।

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प्रवासी पक्षियों के लिए नया बसेरा बनते बांकुड़ा के जलाशय

प्रवासी पक्षियों के लिए नया बसेरा बनते बांकुड़ा के जलाशय

राज्य वन विभाग के सर्वेक्षण में खुलासा
सांतरगाछी झील और सुंदरवन भी करते प्रवासी पक्षियों को आकर्षित
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर विशेष
रवीन्द्र राय
कोलकाता. प्रवासी पक्षियों के लिए बांकुड़ा जिले के मुकुटमणिपुर बांध और आसपास के जलाशयनया बसेरा बनते जा रहे हैं। राज्य वन विभाग के सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। इसके अलावा सुंदरवन, हावड़ा में सांतरगाछी झील और रायगंज के कुलिक पक्षी अभ्यारण्य में भी हर साल सर्दियों में हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं। बड़ी संख्या में पक्षियों की उपस्थिति क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक संकेतक माना जाता है। वन विभाग के सर्वेक्षण के मुताबिक बांकुड़ा जिले के कुछ जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए नए आश्रय स्थल के रूप में उभरे हैं।
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20 जलाशयों में पक्षियों की 133 प्रजातियां
सर्वेक्षण में बांकुड़ा जिले के 20 जलाशयों में पक्षियों की लगभग 133 प्रजातियों को देखा गया। क्षेत्र में सीटी बत्तख, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, टफ्टेड डक, नॉर्दर्न पिंटेल, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, वैगटेल की विभिन्न प्रजातियां देखी गई। बांकुड़ा के मुकुटमणिपुर बांध, कदमदौली जलाशय, गंगदुआ बांध और लाल बांध तथा पुरुलिया जिले में साहेब बांध और फुतियारी बांध के आसपास बड़ी संख्या में पक्षियों को देखा गया।
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परिवर्तनों के प्रति होते संवेदनशील
सर्वेक्षण में शामिल संगठनों में से के पदाधिकारी अनिर्बान पात्रा ने कहा कि कुछ पक्षी क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों के प्रति इतने संवेदनशील थे कि वे प्रदूषण और अन्य बाहरी कारकों में बदलाव को महसूस कर सकते थे। रूफस टेल्ड लार्क नामक पक्षी 2018 में निर्माण कार्य और एक विशेष प्रकार के पेंट के उपयोग के कारण मुकुटमणिपुर इलाके से चला गया। स्थिति में सुधार होने पर पक्षी 2020 में वापस आ गया।
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ये क्षेत्र भी रहते गुलजार
उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज शहर से मात्र दो किलोमीटर दूर स्थित कुलिक नदी के किनारे हर साल मानसून आने के साथ-साथ जून-जुलाई महीने में विभिन्न देशों से कई प्रजाति के प्रवासी पक्षी हजारों की संख्या में आते है और नवंबर-दिसंबर तक अपने देशों में लौट जाते। आंकड़े के मुताबिक यहां 2020 में 99 हजार 631 तथा 2021 में 98 हजार 739 प्रवासी पक्षी आए थे। इस बार एक लाख से कहीं ज्यादा आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा सर्दियों में जलपाईगुड़ी जिले का गाजलडोबा भी पक्षियों से गुलजार रहता है। नवंबर के दूसरे सप्ताह से दक्षिण अफ्रीका, साइबेरियन, अन्य गर्म देशों से पक्षियों का आना शुरू होता है।
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इनका कहना है
प्राकृतिक अनुकूलता के कारण किसी क्षेत्र के जलाशय में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। अधिकारियों और इलाके के लोगों को इनकी सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
गौतम तांतिया, प्रमुख, जन्तु प्रेमी संस्था
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सांतरागाछी झील प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थल है, पर जिस तरह से जल में प्रदूषण बढ़ रहा है, प्रवासी पक्षी झील से मुंह मोड़ सकते हैं। जल प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सीवरेज प्लांट की स्थापना और आसपास अतिक्रमण हटाना जरूरी है।
सुभाष दत्त, पर्यावरणविद