कोरोना का खतरा बरकरार, रहें होशियार
कोरोना का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। यह बात केवल सरकार ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी कह रहे हैं पर जिस तरह की तस्वीरें पश्चिम बंगाल के बाजारों में दिख रही हैं वो चिंता पैदा करने वाली है। अधिकांश लोग बगैर मास्क के दिख रहे हैं, जबकि कई लोग दिखावे के लिए मास्क पहन रहे हैं। लोगों की यह प्रवृत्ति घातक साबित हो सकती है।
कोरोना का खतरा बरकरार, रहें होशियार
जब सभी लोग सतर्कता बरतेंगे तब ही इस पर लगाया जा सकता है अंकुश
प्रसंगवश
कोलकाता. कोरोना का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। यह बात केवल सरकार ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी कह रहे हैं पर जिस तरह की तस्वीरें पश्चिम बंगाल के बाजारों में दिख रही हैं वो चिंता पैदा करने वाली है। अधिकांश लोग बगैर मास्क के दिख रहे हैं, जबकि कई लोग दिखावे के लिए मास्क पहन रहे हैं। लोगों की यह प्रवृत्ति घातक साबित हो सकती है। जिस तरह पहली लहर के असर कम होने के बाद लोग लापरवाह हो गए तथा कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया, उससे हम सबक सीखने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञ कह रहे हैं कि मास्क पहनकर तथा साफ सफाई के साथ सामाजिक दूरी बरकरार रख कर हम कोरोना से 90 फीसदी बच सकते हैं तो बड़ा सवाल है कि हम आखिर इसकी पालना में कोताही क्यों बरत रहे हैं। क्या हमने मान लिया है कि जो करेगी सरकार ही करेगी, हम नहीं सुधरेंगे, यह प्रवृत्ति ही हमें मुश्किल में डाल रही है। सरकार का जो अपना काम है वो करे, हमारा जो काम है हम करे तभी इसी महामारी से मुकाबला किया जा सकता है। कहा यही जा रहा है कि भारत जैसे देशों से यह महामारी जल्द जाने वाली नहीं है, ऐसे में जब सभी लोग सतर्कता बरतेंगे तब ही इस पर अंकुश लगाया जा सकता है।
इस बीच अच्छी खबर है कि राज्य सरकार ने कोरोना महामारी की तीसरी लहर से मुकाबले की तैयारी तेज कर दी है। राज्य के मुख्य सचिव एचके द्विवेदी ने कलक्टरों, पुलिस अधीक्षकों व जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ ऑनलाइल बैठक में तैयारियों की समीक्षा की है। उन्होंने तमाम सरकारी अमला को युद्ध स्तर पर काम करने के निर्देश दिए हैं। आमतौर पर दूसरी लहर के दौरान बेड और ऑक्सजीन की किल्लत हो गई थी। ऐसे में इस बार सरकार का पहला काम इन दो चीजों की किल्लत दूर करने पर होना चाहिए। राज्य के अस्पतालों में सामान्य बेड के साथ सीसीयू, पीआइसीयू और 270 एनआइसीयू बेड बढ़ाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
अस्पतालों में सिर्फ बेड बढ़ाने से भी समस्या दूर नहीं होगी। अस्पतालों में चिकित्सक, नर्स, आशाकर्मी, स्वास्थ्यकर्मियों की व्यवस्था के साथ आपातकालीन हालात में अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाने वाले बाल रोग विशेषज्ञों की विशेष टीम भी होनी चाहिए। बच्चों के लिए तीसरी लहर के खतरनाक होने के संकेत के साथ प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विशेषज्ञ व जनरल फिजिशियन की टीम बनाई जानी चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग को सारी तैयारियां दुरुस्त करने के लिए कदम उठाने चाहिए। टीकाकरण में तेजी, कोरोना से संक्रमित बच्चों के इलाज के बुनियादी ढांचे पर जोर देना चाहिए। 3 महीने से 12 साल के बच्चों के लिए राज्य भर में बेड बढ़ाने की व्यवस्था करनी चाहिए। पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ता और बाल रोग विशेषज्ञों की व्यवस्था करके ही तीसरी लहर से निपटा जा सकता है।
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