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Dengu : अतिरिक्त प्लेटलेट और सेलाइन से हो सकती है डेंगू के मरीजों की मौत

वायरस को निष्क्रिय करने के लिए डेंगू के मरीजों को जरूरत से अधिक दवाएं लेना जान का खतरा बन सकता है। अधिक मात्रा में दवा और बेलगाम एंटिबायोटिक लेने, डॉक्टर के बिना परामर्श के ही सेलाइन चढ़ाने और बिना जरूरत के प्लेटलेट चढ़ाने से पश्चिम बंगाल में डेंगू के अधिकतर मरीजों की जान जाने की आशंका होती है। इसका खुलासा राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों के मरीजों की इलाज की समीक्षा रिपोर्ट में हुआ है।

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Dengu : अतिरिक्त प्लेटलेट और सेलाइन से हो सकती है डेंगू के मरीजों की मौत

Dengu : अतिरिक्त प्लेटलेट और सेलाइन से हो सकती है डेंगू के मरीजों की मौत

बंगाल के स्वास्थ्य विभाग को आशंका

राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों की समीक्षा रिपोर्ट में खुलासा

कोलकाता.

वायरस को निष्क्रिय करने के लिए डेंगू के मरीजों को जरूरत से अधिक दवाएं लेना जान का खतरा बन सकता है। अधिक मात्रा में दवा और बेलगाम एंटिबायोटिक लेने, डॉक्टर के बिना परामर्श के ही सेलाइन चढ़ाने और बिना जरूरत के प्लेटलेट चढ़ाने से पश्चिम बंगाल में डेंगू के अधिकतर मरीजों की जान जाने की आशंका होती है। इसका खुलासा राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों के मरीजों की इलाज की समीक्षा रिपोर्ट में हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि जरूरत से अधिक प्लेटलेट दिए जाने से डेंगू के अनेक मरीजों की जान जा रही है। इनमें से अधिकतर मरीजों के हृदय में पानी जमने से उनका हार्ट फेल हो रहा है। इस तरह की अधिकतर घटनाएं निजी अस्पतालों में हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार डेंगू के अधिकतर मरीजों की मौत निजी अस्पतालों में हो रही है।

सरकारी दिशानिर्देश की पालना नहीं

विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार शरीर में पानी खत्म होने से डेंगू के मरीजों के मरने का स्वाभाविक कारण है। इसके अलावा डेंगू के मरीजों के शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और रक्तवाहिनी से प्लाज्मा लीक होकर निकल जाता है। इस कारण मरीज का रक्त गाढ़ा हो जाता है। ऐसे मामलों में मरीज को सेलाइन चढ़ाया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि डेंगू रोगी को ठीक कब और कितना सेलाइन चढ़ाना चाहिए और उसे कब प्लेटलेट दिया जाए। फिर भी निजी अस्पताल सरकारी दिशानिर्देश की पालना नहीं कर रहे हैं। डेंगू के प्रोटोकॉल को दरकिनार कर मरीजों का इलाज किया जा सकता है।

ऐसी स्थिति में दी जाती है प्लेटलेट:

विशेषज्ञकलकता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के ट्रांस्फ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञ प्रसून भट्टाचार्य ने बताया कि डेंगू के मरीजों का प्लेटलेट जब 20 हजार से कम हो जाए और रक्त भी कम होता जाए तब मरीज को प्लेटलेट चढ़ाना जाना चाहिए। जब रोगी का प्लेटलेट 10 हजार से कम हो जाए और तब रक्त की कमी हो या नहीं हो तब उसे प्लेटलेट दिया जाता है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि निजी अस्पतालों में डेंगू के जिस मरीज का प्लेटलेट 50 से 60 हजार है उसे भी प्लेटलेट दे दिया जा रहा है। नतीजा मरीजों की मौत का खतरा बढ़ जाता है।