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विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल गंगासागर स्थित कपिल मुनि मंदिर को बचाने की कवायद

विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल में शामिल पश्चिम बंगाल के गंगासागर स्थित कपिल मुनि मंदिर के समुद्र में समाने का खतरा और गहराता जा रहा है। दक्षिण 24 परगना जिले के गंगासागर तट पर हर वर्ष मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हिन्दुओं का विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है। तेज गति से मिट्टी कटाव होने के कारण समुद्र का पानी मंदिर की ओर बढ़ता जा रहा है। अब समुद्र और मंदिर के बीच सिर्फ एक किलोमीटर का फासला रह गया है

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विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल गंगासागर स्थित कपिल मुनि मंदिर को बचाने की कवायद

विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल गंगासागर स्थित कपिल मुनि मंदिर को बचाने की कवायद

देश विदेश के विशेषज्ञों की मदद लेगी बंगाल सरकार, विश्व बैंक भी करेगा आर्थिक मदद

विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल में शामिल पश्चिम बंगाल के गंगासागर स्थित कपिल मुनि मंदिर के समुद्र में समाने का खतरा और गहराता जा रहा है। दक्षिण 24 परगना जिले के गंगासागर तट पर हर वर्ष मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हिन्दुओं का विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है। तेज गति से मिट्टी कटाव होने के कारण समुद्र का पानी मंदिर की ओर बढ़ता जा रहा है। अब समुद्र और मंदिर के बीच सिर्फ एक किलोमीटर का फासला रह गया है। इस संदर्भ में आपात बैठक करने के बाद बंगाल के सिंचाई मंत्री मानस भुंइया ने बताया कि मिट्टी कटाव रोककर मंदिर को बचाने के लिए राज्य सरकार ने अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (आईआईटी) मद्रास व नीदरलैंड के विशेषज्ञों की मदद लेने का निर्णय लिया है। विश्व बैंक भी इसमें आर्थिक सहयोग करेगा।

अधिकारियों की लापरवाही पर जताई नाराजगी

बैठक में सुंदरवन विकास मंत्री बंकिम चंद्र हाजरा, गंगासागर-बकखाली विकास बोर्ड के चेयरमैन श्रीमंत माली समेत जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे। बैठक के दौरान मंत्री मानस भुंइया ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही पर भी नाराजगी जताई। सूत्रों ने बताया कि आईआईटी मद्रास व नीदरलैंड के विशेषज्ञों की टीम जल्द गंगासागर का दौरा करेगी। इस दौरान समुद्री किनारे हो रहे मिट्टी कटाव से पैदा हुई स्थिति की समीक्षा करेगी और राज्य सरकार को मिट्टी कटाव रोकने के प्रभावी उपाय सुझाएगी।

चक्रवात भी पहुंचा रहे नुकसान

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो कपिल मुनि मंदिर अगले दो साल में समुद्र में समा सकता है। इससे पहले गंगासागर तट पर स्थित तीन मंदिर समुद्र में समा चुके हैं। मिट्टी कटाव से मंदिर को बचाने के लिए समुद्र किनारे बैरियर का निर्माण किया गया है लेकिन, यह कारगर साबित नहीं हो पा रहा। चक्रवात दाना से पहले चक्रवात यास ने भी गंगासागर क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचा था।