
बीरभूम .
बीरभूम के इलमबाजार टीकरबेता गांव में ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट में एचआईवी पॉजिटिव आने के बाद मरने का फैसला कर चुके युवक की जान दुबारा हुए टेस्ट ने बचा ली। दूसरी रिपोर्ट में पहली रिपोर्ट को गलत ठहराते हुए उसके एचआईवी पीडि़त होने से इंकार कर दिया। इस बीच पहली रिपोर्ट में संक्रमित और दूसरी रिपोर्ट में संक्रमण मुक्त कहे जाने से रक्त जांच व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। एचआईवी से प्रभावित होने और प्रभावित नहीं होने की रिपोर्ट के बीच पीडि़त युवक और उसके परिवार पर आई समस्याएं भी अब सुलझती दिख रही हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक पीडि़त युवक ने दुर्गापुर मिशन अस्पताल में भर्ती अपने मित्र की जान बचाने के लिए रक्तदान किया था। उसे अस्पताल प्रबंधन की ओर से फोन पर बताया गया कि रक्त जांच की टेस्ट में सामने आया है कि वह एचआईवी पॉजिटिव है। खुद के एड्स पीडि़त होने की खबर सुनकर पीडि़त युवक ने आशा खो दी। उसने आत्महत्या कर अपनी जिंदगी खत्म करने का निर्णय ले लिया। उसके बर्ताव में आए परिवर्तन को घर वालों ने महसूस किया।
उसने पहले गले में फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश की पर खिड़की से घरवालों ने देख लिया और उसे रोक लिया। इसके बाद उसने जहर खाकर मरने की कोशिश की पर उसे बचा लिया गया। इस बीच उसने चिकित्सकों की सलाह पर फिर से रक्त की जांच कराई। बर्दवान तथा कोलकाता के रक्त परीक्षण केन्द्रों में की गई जांच की रिपोर्ट में उसके एचआईवी पॉजिटिव न होने की पुष्टि हुई।
इस घटना से परेशान होकर युवक के परिवार वालों ने दुर्गापुर मिशन अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना था कि अस्पताल की ओर से दी गई रिपोर्ट से निराश हुए उनके परिजन ने दो-दो बार आत्महत्या की कोशिश की पर बच गया। मर भी सकता था। इतने दिनों तक हम जिस तरह की मानसिक परेशानी से गुजरे हैं वैसा और किसी के भी साथ नहीं होना चाहिए।
Published on:
12 Feb 2018 09:32 pm
बड़ी खबरें
View Allकोलकाता
पश्चिम बंगाल
ट्रेंडिंग
