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कोलकाता

डीवीसी के पानी छोडऩे से राज्य में बाढ़: ममता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिकायत की कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के बांधों से अनियोजित तरीके से पानी छोडऩे से राज्य के 6 जिलों में मानव निर्मित बाढ़ के हालात पैदा हो गए। पीएम ने सीएम को फोन कर राज्य में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की

कोलकाताAug 05, 2021 / 12:19 am

Rabindra Rai

डीवीसी के पानी छोडऩे से राज्य में बाढ़: ममता

डीवीसी के पानी छोडऩे से राज्य में बाढ़: ममता

आपदा: पीएम ने सीएम को फोन कर हालात की समीक्षा की
– केन्द्र की ओर से हरसंभव मदद का दिया आश्वासन
कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिकायत की कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के बांधों से अनियोजित तरीके से पानी छोडऩे से राज्य के 6 जिलों में मानव निर्मित बाढ़ के हालात पैदा हो गए। पीएम ने सीएम को फोन कर राज्य में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की और इससे निपटने के लिये केन्द्र की ओर से सभी तरह की सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया। मोदी ने प्रभावित इलाकों में लोगों की सुरक्षा की कामना की।
एक अधिकारी ने बताया कि बातचीत के दौरान मोदी ने पूछा कि क्या बंगाल में भारी बारिश हो रही है। ममता ने उन्हें बताया कि स्थिति मानव निर्मित है और इसके लिए डीवीसी जिम्मेदार है। डीवीसी ने अनियोजित तरीके से पानी छोड़ा है, जिससे राज्य में स्थिति और खराब हो रही है। उन्होंने पीएम से कहा कि ड्रेजिंग होनी चाहिए, जिससे उनमें अधिक पानी जमा हो सके। जलाशयों की सफाई करने पर उनमें अतिरिक्त दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी जमा हो सकता है। केन्द्र को पत्र लिखने के बाद भी काम नहीं हो रहा है।

पीएमओ को रिपोर्ट भेजेगा प्रशासन
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्वीट कर बताया कि मोदी ने बातकर ममता को हालात से निपटने के लिए केन्द्र की ओर से हर संभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने पीएम को बताया कि प्रशासन सर्वेक्षण पूरा करने के बाद बाढ़ के हालात और इससे हुए नुकसान के बारे में पीएमओ को एक रिपोर्ट भेजेगा। ममता ने प्रशासनिक बैठक में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने मुख्य सचिव एचके द्विवेदी और दूसरे आला अधिकारियों को शीघ्र रिपोर्ट तैयार करने को कहा।

प्रभावित इलाके का लिया जायजा
मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित हावड़ा ग्रामीण के उदयनारायणपुर और आमता का सड़क मार्ग से जायजा लिया। पीडि़तों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और कहा कि राज्य सरकार हर समय उनके साथ है। उन्होंने दावा किया कि बिना बताए बांधों से पानी छोड़े जाने ये हालात पैदा हुए। ड्रेजिंग और सफाई नहीं होने का खमियाजा राज्य को भुगतना पड़ता है। ममता ने कलक्टर मुक्ता आर्य को बाढ़ पीडि़तों की हर परेशानी दूर करने का निर्देश दिया। राहत सामग्री पहुंचाने को कहा।

पानी में खड़ीं होकर पीडि़तों की बात सुनी
घुटनों तक पानी में खड़ीं ममता ने आमता में प्रभावित लोगों से बात की और उन्हें राज्य सरकार की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि हमारे मंत्री राहत व बचाव कार्यों को देख रहे हैं। मैं व्यक्तिगत रूप से जल्द ही सभी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करूंगी। विधायक सुकांत पाल से कदम उठाने को कहा। उन्होंने आमता के जयपुर स्थित पीडि़तों की समस्या सुनी। राज्य के जनस्वास्थ्य कारीगरी मंत्री पुलक राय व बीडीओ मौजूद रहे।

नहीं जा सकीं खानाकुल
अस्थायी हेलीपैड के पानी में डूब जाने के कारण मुख्यमंत्री हुगली के बाढ़ प्रभावित खानाकुल नहीं जा सकी। वह हावड़ा के आमता से सचिवालय नवान्न लौट गई। वह हावड़ा तथा हुगली जिले का हवाई सर्वेक्षण करने वाली थीं। मौसम खराब होने के कारण वह सड़क मार्ग से आमता पहुंची। खानाकुल के घोषपुर प्राइमरी स्कूल के मैदान में बनाया गया अस्थाई हेलीपैड पानी में डूब गया। उन्होंने हुगली के तृणमूल अध्यक्ष दिलीप यादव को राहत व बचाव के साथ लोगों के बीच राहत सामग्री पहुंचाने का निर्देश दिया। वह मौसम की स्थिति में सुधार होने पर खानाकुल जाने पर विचार कर सकती हैं।

सहमति पर छोड़ा पानी: डीवीसी
डीवीसी ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राज्य की रजामंदी पर ही बांध से पानी छोड़ा गया। एकतरफा फैसला नहीं किया गया। डीवीसी के कार्यकारी निदेशक (सिविल) सत्यब्रत बनर्जी ने कहा कि दामोदर घाटी जलाशय नियमन समिति में पश्चिम बंगाल और झारखंड सरकारों के प्रतिनिधि हैं। कमेटी ही तय करती है कि कब, कितना पानी बांध से छोड़ा जाएगा। पानी छोडऩे से पहले राज्य के प्रतिनिधियों से लिखित सहमति ली जाती है।

बांध तोडऩे की मांग कर सकती है सरकार: भाजपा
प्रदेश भाजपा ने मुख्यमंत्री कोआरोपों को हास्यास्पद करार दिया और कहा कि राज्य सरकार अपनी विफलता को छिपाने के लिए किसी चेहरे की तलाश कर रही है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब राज्य सरकार डीवीसी के बांधों को तोडऩे की मांग कर सकती है। तृणमूल शासन के दौरान राज्य में पूरी सिंचाई व्यवस्था चरमरा गई है।

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