
कोलकाता.
पश्चिम बंगाल में नदियों के जल में प्रदूषण चरम पर है। गंगा समेत 17 नदियों के जल में प्रदूषण का आलम यह है कि वह नहाने के लायक भी नहीं है। पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) की ओर से हाल में जारी हुई रिपोर्ट में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में बहने वाली १७ नदियों के जल में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा काफी अधिक है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार नदी जल में प्रति 100 मिलीलीटर कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की संख्या 500 से अधिक नहीं होनी चाहिए। कोलीफार्म बैक्टीरिया मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। भारत में सबसे ज्यादा लोग जलजनित बीमारियों के शिकार होते हैं। पीलिया, पेचिश समेत जलजनित रोगों की मुख्य वजह उसमें पाए जाने वाला कोलीफार्म बैक्टीरिया होता है।
डब्ल्यूबीपीसीबी के अधिकारियों के अनुसार नदियों के प्रदूषण का मुख्य कारण उनमें नालों का गंदा जल, कारखानों के रसायन, लोगों का मल-मूत्र आदि का मिश्रण, मानव व पशुओं की लाशों के अवशेषों को फेंका जाना है। लम्बे समय से राष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में काम किया जा रहा है, लेकिन इस दिशा में अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। नदियों के जल में प्रदूषण मानव जीवन और पर्यावरण संतुलन के लिए खतरनाक है।
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वर्ष 2015 में लिए गए थे नमूने
डब्ल्यूबीपीसीबी ने उक्त सर्वे के लिए वर्ष 2015 में राज्य में बहने वाली सभी नदियों के जल का नमूना संग्रह किया था।
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इन नदियों का जल अधिक प्रदूषित
गंगा (भागीरथी, हुगली), महानंदा, तीस्ता, करोला, कालजनी, दामोदर, बराकर, कंसाई, द्वारका।
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गंगा में कहां कितना प्रदूषण
स्थान बैक्टीरिया की संख्या
(प्रति 100 मिली लीटर में)
दक्षिणेश्वर 4.00 लाख
शिवपुर 2.80 लाख
गार्डनरीच 2.40 लाख
बहरमपुर 1.10 लाख
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अन्य बड़ी नदियों में प्रदूषण का स्तर
महानंदा १४ हजार
तीस्ता 07 हजार
करोला 14 हजार
कालजनी 14 हजार
दामोदर 90 हजार
बराकर 17 हजार
कंसाई 17 हजार
द्वारका 34 हजार
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इनका कहना है
यह केवल बंगाल की समस्या नहीं है। हरिद्वार से लेकर गंगासागर तक कहीं भी गंगा का पानी नहाने के लायक नहीं है।
कल्याण रूद्र, चेयरमैन, डब्ल्यूबीपीसीबी
Published on:
18 Jan 2018 05:45 pm
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