स्वास्थ्य विभाग से
मिले आंकड़े बताते हैं कि राज्य में स्वाइन फ्लू के प्रभावितों की संख्या 8 फीसदी
की दर से बढ़ रही है, जबकि साधारण तौर पर इस जानलेवा बीमारी की वृद्धि दर 1 फीसदी
से भी कम है। राज्य में स्वाइन फ्लू से निपटने में लगे चिकित्सकों का कहना है कि
राज्य सरकार के दिशानिर्देश के कारण रोग भयावह आकार ले रहा है।
राज्य में
स्वाइन फ्लू की सरकारी जांच व्यवस्था सिर्फ बेलेघाटा आईडी अस्पताल में है। उत्तर
बंगाल सहित राज्य के अन्य भाग से रोगियों के यहां आते आते कई बार मामला बिगड़ जा
रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि लक्षण दिखने पर ही अगर टेमी फ्लू का प्रयोग किया
जाए तो रोग पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। यही नहीं सरकार ने इस रोग की
चिकित्सा में लगे चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी कोई दिशानिर्देश नहीं
जारी किया है।
चिकित्सकों का कहना है कि महंगा होने के कारण सरकार इस दवा
का इस्तेमाल एकदम अंत में करना चाहती है। स्वाइन फ्लू के प्रभावकारी दवा टेमीफ्लू
के एक कोर्स में 1000 रूपए खर्च आता है। इसके अलावा परीक्षण के अपने खर्च हैं।
राज्य में अब तक 971 लोगों का स्वाइन फ्लू के संदेह में परीक्षण किया गया है जिनमें
से 289 लोगों में ही स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।
स्वाइन फ्लू ने फिर ली
जान
स्वाइन फ्लू ने बंगाल में एक और जान ले ली है। छह वर्षीया बच्ची की मौत हो
गई है। उत्तर बंगाल में मौत का यह पहला मामला है। इसके साथ ही राज्य में स्वाइन
फ्लू ने अब तक 19 लोगों को अपना शिकार बनाया है।
उत्तर बंगाल अस्पताल में
आकंक्षा राजेश्वर नामक बच्ची की मौत एच1एन1 वायरस की चपेट में आने से हो गई। वह
सिलीगुड़ी की वाशिन्दा थी। महानगर में 15 नए मामले प्रकाश में आए है।
राज्य
के स्वास्थ्य सचिव मलय दे ने बताया कि राज्य में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की
संख्या 19 पहुंच गई है। राज्य में स्वाइन फ्लू से 304 लोग पीडित हुए हैं। 203 लोग
स्वस्थ होकर घर लौट गए हैं। 82 पीडितों की चिकित्सा चल रही है।
टेमी फ्लू
का इस्तेमाल जरूरी
राज्य में स्वाइन फ्लू महामारी का रूप ले रही है लेकिन सरकार
टेमीफ्लू का इस्तेमाल नहीं कर रही है। राज्य सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन
(डब्ल्यूएचओ) व केंद्र सरकार के भी दिशानिर्देश की अवहेलना की है। सरकार ने अपना
अलग निर्देश बनाया है। डॉ. सजल विश्वास, महासचिव,सर्विस डॉक्टर्स
फोरम
बर्बादी से बचाने का उपाय
फंड नहीं दवा की बर्बादी से बचाने के लिए
टेमीफ्लू का इस्तेमाल पुुष्टि हुए मामलों में किया जा रहा है। अगर इस दवा का संदेह
जनित रोगियों पर किया गया तो वाइरस दवा प्रतिरोधक हो जाएगा। उसपर दवा का असर भी
नहीं पड़ेगा।मलय दे,स्वास्थ्य सचिव,राज्य स्वास्थ्य विभाग
सरकार को
चिकित्सकों की सलाह
- लोगों को जागरूक करने के लिए लगाए होर्डिग्स
- जिला
अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू परीक्षण केंद्रखोले
- डब्ल्यूएचओ की
दिशानिर्देश केअनुसार टेमीफ्लू नि:शुल्क दिया जाए
- विशेषज्ञों की कमेटी का गठन
किया जाए