
कोलकाता.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री राज्य के आठ रेलवे रूटों को बंद करने के केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करेंगी। उन्होंने ने केंद्र के प्रस्ताव पर तीव्र आपत्ति जताई हैं। उनके अनुसार इनमें से अधिकांश रेलवे रूट उस समय चालू किए गए, जब वह रेल मंत्री थी। केंद्र सरकार का यह कदम राजनीतिक बदला लेने वाला है। पश्चिम बंगाल के लोगों का इस तरह का अपमान वह बर्दाश्त नहीं करेंगी।उन्होंने इसे राज्य के प्रति ना केवल सौतेलापन आचरण बल्कि राज्यवासियों का अपमान करार दिया है। रेलवे मंत्रालय ने इस संदर्भ में राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर सरकार से राय मांगी है। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि या तो राज्य सरकार उन रूटों को बंद करने में सहमति प्रदान करे या फिर नुकसान का 50 फीसदी बोझ खुद उठाए।
सचिवालय में रही गहमागहमी
इसे लेकर शुक्रवार को राज्य सचिवालय नवान्न में काफी गहमागहमी रही। संसद की लोक लेखा समिति की सिफारिशों के मद्देनजर रेल मंत्रालय ने राज्य के 8 विभिन्न रेलवे रूटों को बंद करने की सिफारिश की है। सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार रेल मंत्रालय की पेशकश का तीव्र विरोध करेगी। कारण उक्त रेलवे रूटों से रोजाना लाखों की संख्या में स्थानीय यात्री सफर करते हैं। इसका प्रतिकूल असर राज्य की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था पर पड़ेगा। केंद्र से इस प्रस्ताव को राज्य सरकार किसी भी हाल में नहीं मानेगी।
सचिवालय से निकलते वक्त मुख्यमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि लाभ और नुकसान की बात नहीं बल्कि जनहित में उक्त रूटों पर लोकल ट्रेनों का परिचालन जारी रखना चाहिए। ममता ने कहा कि लाभ व नुकसान के आधार पर देश में ट्रेनें नहीं चलतीं। रेलवे का वास्ता आम जनता के जीवन रेखा से है। सरकार का काम परिसेवा और जनसुविधाओं को बढ़ावा देना होता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल से विभिन्न करों के मद में सालाना करीब 50,000 करोड़ रुपए वसूलती है।
घाटे में चल रहे ये रूट
-बालीगंज- बजबज
-सोनारपुर- कैनिंग
-कल्याणी-कल्याणी सीमांत
-बर्दवान- कटवा
-बारासात- हासनाबाद
-बारुईपुर- नामखाना
- भीमगढ़- पलाशस्थली
- शांतिपुर- नवद्वीपधाम
Published on:
19 Jan 2018 10:24 pm
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