कोलकाताPublished: May 26, 2021 02:00:54 am
Manoj Singh
देश के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। देश के सर्वोच्च ने इस दिन कहा कि कानून के शासन को तोड़ने की कोशिश करने पर सीबीआई ममता बनर्जी, उनकी सरकार के कानून मंत्री या अन्य किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीबीआई स्वतंत्र है।
Supreme Court on Mamta Banerjee: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दिया ममता के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश
कहा, कानून हाथ में लिया है तो मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के खिलाफ करें कार्रवाई
कोलकाता
देश के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। देश के सर्वोच्च ने इस दिन कहा कि कानून के शासन को तोड़ने की कोशिश करने पर सीबीआई ममता बनर्जी, उनकी सरकार के कानून मंत्री या अन्य किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीबीआई स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात नारद रिश्वत कांड में गिरफ्तार बंगाल के दो मंत्रियों सहित चार कद्दावर नेताओं को गृहबंदी रखने संबंधित कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान कही। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के खण्डपीठ ने दोबारा कहा कि अगर मुख्यमंत्री या कानून मंत्री ने कानून अपने हाथ में लिया है, तो उनके खिलाफ आगे बढ़ें।
इस दिन उक्त मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई के खण्ड पीठ को बताया कि ममता बनर्जी 17 मई को सीबीआई कार्यालय में छह घंटे धरने पर बैठी रहीं। उन्होंने सीबीआई अधिकारियों से खुद को भी गिरफ्तार करने को कहा। मुख्यमंत्री ने सीबीआई के बारे में अनेक अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणियां की थी। उस दौरान एक अनियंत्रित भीड़ संगठित तरीके से सीबीआई कार्यालय की ओर बढ़ती रही, जिससे जांच अधिकारी की ओर से आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली कार्यवाही में बाधा उत्पन्न हुई। तृणमूल कांग्रेस के हजारों समर्थकों ने कोलकाता के निजाम पैलेस स्थित सीबीआई कार्यालय की घेराबंदी कर दी थी और लगातार पथराव कर कानून की प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उसने सीबीआई कार्यालय की घेराबंदी करने में मुख्यमंत्री, कानून मंत्री और उनके समर्थकों के आचरण को स्वीकृति नहीं दी है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए संविधान में पर्याप्त उपाय हैं। मुख्यमंत्रियों के धरना देने और कानून मंत्री के दोष के लिए सीबीआई क्यों आरोपी व्यक्तियों को क्यों पीड़ित करना चाहती हैं। अगर सीबीआई चाहें तो ममता बनर्जी और उक्त कानून मंत्री उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई करें। साथ ही उन्होंने टिप्पणी की कि वे कोर्ट में सरकार या सीबीआई को सलाह देने के लिए नहीं बैठे हैं।
पीठ ने कहा कि वह एजेंसी पर दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह के धरने की सराहना नहीं करती। लेकिन क्या आरोपी को पीड़ित किया जा सकता है। हम नागरिकों की स्वतंत्रता को राजनेताओं के अवैध कृत्यों के साथ मिलाना पसंद नहीं करते हैं। हम ऐसा नहीं करेंगे।
तो गिरेगा हाई कोर्ट का मनोबल
इस दौरान नारद रिश्वत मामले को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने के सीबीआई के तर्क पर सुप्रीम कोर्ट के उक्त खण्ड पीठ ने कहा कि यह उच्च न्यायालय का मनोबल गिरा सकता है। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ पहले से ही मामले की सुनवाई कर रही है। उल्लेखनीय है कि लगभग छह पांच साल पाराने मामले में नारद रिश्वत कांड में सीबीआई की ओर से गत 17 मई को राज्य के दो मंत्रियों सहित चार कद्दावर नेताओं को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता के निजाम पैलेस स्थित सीबीआई के कार्यालय में जाकर छह घटना धरना दिया था। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के समर्थक बाहर से कार्यालय को घेर लिया था और केन्द्रीय बल पर पत्थरबाजी की। गिरफ्तार लोगों में राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी है।