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ध्यान ही नहीं इलाज के लिए भी कर रहे अध्यात्म का रुख

कोरोनाकाल के बाद प्राचीन भारतीय पद्धतियों के प्रति लोगों का बढ़ा है रुझान

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ध्यान ही नहीं इलाज के लिए भी कर रहे अध्यात्म का रुख

ध्यान ही नहीं इलाज के लिए भी कर रहे अध्यात्म का रुख

विनीत शर्मा

कोलकाता. कोरोना संक्रमण ने लोगों को ज्यादा धार्मिक बना दिया और उन्हें अपनी जड़ों की ओर लौटने का अवसर दिया है। कोरोना बाद के दुष्प्रभावों के कारण भारतीय आयुर्वेद चिकिसा पद्धति और होम्योपैथी के साथ ही अध्यात्म चिकित्सा विकल्पों के प्रति भी लोगों का रुझान बढ़ा है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि दवा तन को ठीक कर सकती है, लेकिन मरीज पर दवा का असर तभी बेहतर तरीके से होगा जब मन मजबूत होगा। मन को मजबूत करने में आध्यात्मिक चिकित्सा सबसे कारगर है। लोग अपने मन को मजबूत करने के लिए अध्यात्म चिकित्सा पद्धतियों पर भरोसा कर रहे हैं। चिकित्सा की सभी अध्यात्मिक पद्धतियों में क्षमा और आभार ज्ञापन को विशेष जगह दी गई है। लोगों को क्षमा करना और जाने-अनजाने अपराधों के लिए क्षमा याचना व हर व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता का भाव इसका आधार है।

जैन धर्म में क्षमा का महत्व

जैन सिद्धांत कहता है, जिसके साथ तुमने गलत किया है उससे माफी मांग लो। इसी तरह जो तुमसे माफी मांगने आ रहे हैं उन्हें भी माफ कर दो। ऐसा करने से मन का कषाय धुल जाता है। भारतीय दर्शन शास्त्र में जगह-जगह उल्लेख मिलता है कि अध्यात्म से संबंधों को मजबूत किया जा सकता है। आमतौर पर हम आगे बढ़ कर माफी मांगने से कतराते हैं। अध्यात्म ऐसे मामलों में आगे बढऩे को प्रेरित करता है।

तनाव से मुक्ति के लिए अध्यात्म का सहारा

संकटकालीन परिस्थिति में अध्यात्म से बेहद सुकून मिलता है। परिस्थितियां कभी भी अपने वश में नहीं होती लेकिन अध्यात्म हमें संकटकालीन परिस्थितियों का सामना करने में सहायता करता है। इसलिए बड़ी संख्या में लोगों का अध्यात्म की ओर झुकाव बढ़ रहा है। निजी व पेशेवर जिंदगी से जुड़ी समस्याओं और तनाव से मुक्ति के लिए लोग अध्यात्म का सहारा ले रहे हैं।

अध्यात्म में इलाज की विभिन्न पद्धतियां

आकाशिक रेकड्र्स रीडिंग: आकाशिक रिकॉड्र्स यूनीवर्स में ऐसी लाइब्रेरी है जिसमें सभी मानव घटनाओं की जानकारी दर्ज है। आकाशिक रिकॉड्र्स क्वांटम तरंगों से बना हुआ है और इन तरंगों से हर जीव जुड़ा हुआ है। बुल्गारिया की भविष्यवक्ता बाबा वांगा इसका उदाहरण हैं।

ध्यान: ध्यान एक योगक्रिया है जो अपने अंतर में ही रमण करने, अपनी अंतश्चेतना को विकसित करने और बाहरी विकारों से मुक्त होकर मन की निर्मलता प्राप्त करने का उपक्रम है।

रेकी: रेकी शब्द में रे का अर्थ है वैश्विक, अर्थात सर्वव्यापी और की यानी प्राण शक्ति। अथर्ववेद में इसके प्रमाण हैं। ढाई हजार वर्ष पहले बुद्ध ने अपनी किताब 'कमल सूत्र' में इसका वर्णन किया है।

टैरो रीडिंग: टैरो रीडिंग में भविष्य की घटनाओं का आंकलन कर उनके समाधान खोजे जाते हैं।

पराशक्ति चिकित्सा: महावतार बाबा के अनुयायियों में पराशक्ति चिकिसा को लेकर बड़ा विश्वास है। इसमें भी साधक ब्रह्मांडीय तरंगों के माध्यम से संपर्क स्थापित कर पीडि़तों की बीमारियों को दूर करने का प्रयास करते हैं।

हो रहे प्रयोग

विशेषज्ञ पारंपरिक चिकिसा के साथ ही आध्यात्मिक चिकित्सा को बढ़ावा देने पर फोकस कर रहे हैं। इसमें योग, ध्यान, मंत्र समेत दूसरी आध्यात्मिक क्रियाओं के सहारे भी मरीज को राहत दिलाने की कोशिश होती है। उनका मानना है कि दवा तन को ठीक कर सकती है, लेकिन मरीज पर दवा का असर तभी बेहतर तरीके से होगा जब मन मजबूत होगा। मन को मजबूत करने में आध्यात्मिक चिकित्सा सबसे कारगर है। सोशल मीडिया पर भी अध्यात्म के ऑनलाइन नियमित सत्र हो रहे हैं। इन सत्रों में ध्यान, योग, मंत्र समेत आध्यात्म के दूसरी क्रियाओं के बारे में बताया जाता है।

लोगों में उत्सुकता बढ़ी

बीते कुछ सालों में लोगों में उत्सुकता बढ़ी है। कोरोना के बाद से अध्यात्म चिकित्सा के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है। कोरोना के बाद मन को समझने और प्रारब्ध व भविष्य को सुधारने के लिए मेरे पास आने वाले लोगों का आंकड़ा 50 फीसदी तक बढ़ा है।

आशा अवधानी, आकाशिक रीडर, कोलकाता