
नंदीग्राम के रेयापाड़ा में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस की प्रचार सामग्री।
कोलकाता.
नंदीग्राम के एक छोर में बहने वाली हल्दी नदी के मटमैले पानी की लहरें हवा में उमस भर देती हैं वहीं, मार्च के दूसरे हफ्ते में ही सिर पर तेज धूप आ चुकी है जो बेचैनी पैदा करती है। बेचैनी राजनीतिक दलों में भी है। जो इस हाईप्रोफाइल सीट के मतदाताओं का रुख अपनी ओर मोडऩे के लिए हर संभव मुद्दे को सामने रख रहे हैं। पहचान की राजनीति से लेकर भीतरी-बाहरी, भ्रष्टाचार से लेकर रोजगार तक के विषय यहां छाए हुए हैं।
हरिपुर खाल (नहर ) के किनारे किनारे आगे बढऩे पर कुछ किलोमीटर की दूरी पर रेयापाड़ा इलाका आता है। यहां विष्णपद भुइयां के दोमंजिला मकान में ममता बनर्जी का चुनावी कार्यालय तैयार है और उसी मकान के दूसरे तल्ले में ममता बनर्जी के रहने के लिए कुछ कमरे भी आरक्षित करा लिए गए हैं । वहीं पास में खेतों में हैलीपेड बनाया गया है। उसी रेयापाड़ा में तृणमूल और भाजपा के झंडों की जुगलबंदी लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव की बात कहती है। जिस घर में बंगाल की बेटी ममता का कार्यालय है उसके चारों ओर के मकानों में पूर्व मिदनापुर के भूमिपुत्र शुभेन्दु अधिकारी के प्रचार में दीवार लेखन किया गया है। जहां ममता के पोस्टर हैं वहीं ममता बनर्जी को बाहरी प्रत्याशी बताने वाले पोस्टर लगे हैं। चुनावी प्रचार के शुरू में भाजपा नेताओं को बाहरी बताने वालीं ममता बनर्जी को नंदीग्राम में खुद को बाहरी कहे जाने पर सफाई भी देनी पड़ी है।
तृणमूल कांग्रेस के चुनावी कार्यालय के परिसर में किराने की दुकान चलाने वाले युवा शुभोजीत घोड़ाई कहते हैं नौकरी की उम्मीद नहीं देख धंधा शुरु कर दिया। दीदी या दादा पूछने पर मुस्कराते हुए इतना ही कहा कि २ मई को सब सामने आ जाएगा।
पास में ही नमकीन कारखाने के मैनेजर सुब्रत दास शांत इलाके में बढ़ती गतिविधियों से रोमांचित और आशंकित हैं। कहते हैं मतदान से पहले और उसके बाद शांति बनी रही यही कामना करते हैं।
भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता देवांशु माइती कहते हैं तृणमूल कांग्रेस को अब भाजपा नेताओं के लिए बाहरी शब्द का इस्तेमाल करना भारी पड़ रहा है। नंदीग्राम की जमीन पर अब ममता को बाहरी कहा जा रहा है। चुनाव विकास, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण के साथ ही भूमिपुत्र बनाम बाहरी के मुद्दे पर भी हो रहा है।
नंदीग्राम बस स्टेंड पर शाम की चाय की चुस्कियां लेते चक सफेद कुर्ते लुंगी में बैठे सैफुद्दीन शेख बताते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मैदान में आने से समीकरण बदल गए हैं। कौन नहीं चाहेगा कि उसका प्रत्याशी मुख्यमंत्री बने।
वहीं तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता अमित अधिकारी के मुताबिक शुभेन्दु ने नंदीग्राम के लोगों के साथ विश्वावसघात किया है। नंदीग्राम छोडि़ए उनका परिवार कांथी सीट बचा ले वही बड़ी बात होगी।
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प्रत्याशियों का टेंपल रन
आंदोलन से सुर्खियों में आई नंदीग्राम की सीट अब धु्रवीकरण की गिरफ्त में है। इसलिए यहां तृणमूल प्रत्याशी ममता बनर्जी को सभामंच से खुद को हिंदू बताकर चंडी पाठ करना पड़ रहा है। शुभेन्दु कीर्तन मंडलियों के साथ ढोलक मृंदग की थाप दे रहे हैं। वे धु्रवीकरण का मुकाबला जवाबी धु्रवीकरण से देने की बात कहते हैं। ममता और शुभेन्दु दोनों ने ही अपने प्रचार की शुरुआत मंदिरों में दर्शन से की है। इन सबके बीच ममता बनर्जी का प्रचार के समय चोटिल होना, उस घटना के सहारे तृणमूल का भाजपा को निशाने पर लेना, ममता केपक्ष में सहानभुति तैयार होना। फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ का नंदीग्राम सीट छोडऩा, माकपा की ओर से युवा मीनाक्षी भट्टाचार्य को टिकट देना ऐसे कई फैैक्टर हैं जो आने वाले चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं।
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नंदीग्राम फैक्ट फाइल -
96 फीसदी आबादी ग्रामीण
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार, नंदीग्राम की कुल 3,31054 जनसंख्या में से 96.65 आबादी ग्रामीण है। अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का अनुपात कुल जनसंख्या में से क्रमश: 16.46 और 0.1 है।
वर्ष 2019 की मतदाता सूची के अनुसार, इस निर्वाचन क्षेत्र में 2,46,434 मतदाता हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 84.18 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में यह 86.97 प्रतिशत था। वर्ष 2016 में हुए विधानसभा में शुभेन्दु अधिकारी ने माकपा प्रत्याशी 81,230 मतों से हराया था।
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कब किसका रहा कब्जा
1967-1972- भूपल चंद्र पांडा- भाकपा
1977- प्रबीर जाना- जनता पार्टी
1982- भूपल चंद्र पांडा-भाकपा
1987- शक्तिबाल- भाकपा
1991- शक्तिबाल- भाकपा
1996- देवी शंकर पांडा- कांग्रेस
2001-2006- मो. इलियास-भाकपा
2009 उप चुनाव- फिरोजा बीबी- तृणमूल कांग्रेस
2011- फिरोजा बीबी-तृणमूल कांग्रेस
2016- सुभेंदु अधिकारी- तृणमूल कांग्रेस
Published on:
18 Mar 2021 09:08 pm
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