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जब वह अचानक गा उठे मेरे सामने वाली खिड़की में….

- दुर्गा प्रसाद नाथानी के घर पर भी होती थी बैठकें

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kolkata west bengal

जब वह अचानक गा उठे मेरे सामने वाली खिड़की में....

कोलकाता. एक बार कोलकाता में किसी मित्र के घर में भोजन में जाने के लिए निकले थे। अटल जी के साथ ही और भी तीन-चार लोग थे। गाड़ी में बैठे थे सभी बातें कर रहे थे कि अचानक ही अटलजी ने मेरे सामने वाली खिड़़की में ...गाना शुरू कर दिया। सभी उनके साथ हंस पड़े। बड़े ही हंसमुख और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे वैसा दूसरा नेता मिलना मुश्किल है। यह कहना है कोलकाता के दुर्गाप्रसाद नाथानी का। ( नाथानी लंबे समय तक जनसंघ और भाजपा से जुड़े हुए रहे हैं।)

उन्होंने नम आंखों से अटल बिहारी बाजेपेयी को याद करते हुए कई बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि जब मोरार जी देसाई की सरकार मेंअटल जी विदेश मंत्री थे। कोलकाता में एक प्रेस कांफ्रेस हुई। जिसमें अटल बिहारी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा कर दी। वापस लौटते वक्त मैंने कहा कि आपने जो बात संवाददाताओं से कही वह नहीं कहनी चाहिए थी क्योंकि सोमवार को इस बात की घोषणा मोरारजी को करनी है। इस पर वे सहज होकर बोले अरे मुझे टोकना चाहिए था। यह मैंने ठीक नहीं किया। उन्होंने तुरन्त ही अपने सेके्रटरी से कह कर वह खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित करने से रोक ली गई। वे जितने अधिक अपने कार्य के लिए अटल थे उतनी ही विनम्रता से सजहता से गलती को स्वीकार भी कर लेते थे। ऐसी एक और घटना का जिक्र उन्होंने किया। इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1984 में संसदीय चुनाव हुए जिसमें बीजेपी को दो सीटें ही मिल पाई थी। परिणामों की समीक्षा बैठक कोलकाता में उनके ही घर पर हुई थी। उस वक्त दुर्गाप्रसाद ने कहा कि हमें सारी सीटों पर चुनाव लडऩे चाहिए थे। इस बात को कुछ देर की खामोशी के बाद अटल जी ने यह बात स्वीकार कर ली थी।

वे भारतीय जनता पार्टी के विस्तार करने वाले नेता थे। उनकी बात पार्टी के अन्दर भी और बाहर भी सर्वमान्य थी। वे खुले हृदय और विराट सोच वाले सच्चे नेता थे। हमेशा ही वे दिलों में रहेंगे और उनकी सोच हमेशा ही कार्यकर्ताओं का मार्ग दर्शन करेगी। उनको मोक्ष मिले यही कामना है।