
देवगांव जलाशय परियोजना दस साल से कागजों में सिमटी
नारायणपुर। CG News: देवगांव क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त कर किसानों को समृद्ध बनाने हेतु देवगांव जलाशय योजना को प्रारंभ किया गया था । लेकिन 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार की महत्वाकांक्षी यह योजना आज पर्यंत प्रारंभ नही हो पाई है। वन प्रकरण लंबित होने के कारण देवगांव परियोजना कागजो सिमटकर सफेद हाथी बनकर रह गई है। इस परियोजना को लेकर भाजपा एवं कांग्रेस दोनों के शासनकाल में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है। इससे जलाशय योजना पूरी तरह दफन होते नजर आ रही है। जानकारी के अनुसार देवगांव जलाशय योजना 2012-13 में मंजूर की गई थी। लेकिन योजना वन प्रभावित होने के कारण अद्यतन प्रारंभ है।
इस योजना के अंतर्गत में आने वाली निजी भूमि का मुआवजा प्रकरण स्वीकृति हेतु जिला कार्यालय नारायणपुर को भेजा जा चुका है। लेकिन स्वीकृति अभी तक अ प्राप्त है। वही वन प्रकरण का पंजीयन हो चुका है। इससे जल संसाधन कार्यालय के पत्र 915/कार्य 2020 नारायणपुर 19 अगस्त 2020 के द्वारा प्रकरण वनमंडल अधिकारी नारायणपुर को जमा किया गया है। वही प्रभावित वन भूमि की एवज में क्षतिपूर्ति पौधारोपण हेतु पूर्व में उपलब्ध कराई गई भूमि को मुख्य वन संरक्षक द्वारा वर्किंग प्लान में शामिल नारंगी वन क्षेत्र को छतिपूर्ति पौधरोपण ऐसी प्रस्तावित नहीं करने निर्देशित किए जाने के फलस्वरूप उन्हें कुल रकबा 103.421 हेक्टेयर राजस्व भूमि उपलब्ध कराने हेतु कलेक्टर नारायणपुर से कार्यालय पत्र 960/कार्य 7 जून 2021 के माध्यम से अनुरोध किया गया है।
इससे कलेक्टर के माध्यम से पौधरोपण हेतु चिन्ह अंकित भूमि का नजरी नक्शा एवं पंचनामा उपलब्ध कराया जा चुका है। इससे वन मंडल अधिकारी नारायणपुर के माध्यम से अनस बैंड भूमिका राजस्व विभाग एवं वन विभाग के साथ संयुक्त सर्वे कर वन विभाग के नाम भूमि हस्तांतरण प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने लेख किया गया है। इसमे जल संसाधन कार्यालय के माध्यम से तहसीलदार नारायणपुर को पत्र जारी कर राजस्व -वन विभाग संयुक्त सर्वे कर वन विभाग का नाम भूमि हस्तांतरण प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने बाबत लेख किया है।
चयनित भूमि उपयुक्त नही
वन विभाग ने चयनित भूमि को पौधरोपण के लिए उपयुक्त घोषित करते हुए वन मंडलाधिकारी ने अपने पत्र में उल्लेख करते हुए कहा है कि चयनित भूमि की दूरी वन 1.5 किमी होना एवं चयनित भूमि कड़ी मुरमी व वृक्षो की संख्या 661.64 वृक्ष प्रति हेक्टर एवं वनों की घनत्व 0.5 एवं 0.5 से उपर होने का उल्लेख करते हुए चयनित भूमि को वृक्षारोपण करने हेतु अनुपयुक्त घोषित किया गया है। इससे कलेक्टर को पत्र के माध्यम से अन्यत्र जगह भूमि उपलब्ध करने हेतु पत्र भेजा गया है।
इसके बाद से मामला लटका हुआ है।इससे 10 साल से सरकार की महत्वाकांक्षी योजना थंडे बस्ते में है। इस 10 साल में भाजपा एवं काँग्रेस दोनों का शासनकाल समाप्त हो गया है। लेकिन दोनों राजनीतिक दलों नारायणपुर की बहुप्रतीक्षित योजना में लिए कारगर कदम उठाने में कोई रुचि नही दिखाई। इसके फलस्वरूप योजना बस खानापूर्ति बनकर रह गई है।
Published on:
23 Oct 2023 03:07 pm
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