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परंपारिक खेती में नवाचार,किसानों की बढ़ी आमदनी,हो रहे लाल

पुराने समय में जहां लोग कृषि को लाभप्रद व्यवसाय नहीं मानते थे वही आज जिले के युवाओं द्वारा मिश्रित कृषि के तहत् पारम्परिक कृषि के साथ पशुपालन, मुगीर्पालन, मशरूम उत्पादन को जोड़कर कृषि से लाभ अजिर्त करने में जुटे हुए है। इसके लिए जिले के पढ़े-लिखे युवा भी नगरों की चकाचैंध को छोड़कर गांवों में जाकर स्वरोजगार के माध्यम से गांवों के विकास की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।

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नवाचार का प्रयोग कर अब युवा कर रहे हैं मिश्रित खेती

मिश्रित कृषि के तहत् पारम्परिक कृषि के साथ पशुपालन, मुगीर्पालन, मशरूम उत्पादन को जोड़कर कृषि से लाभ अजिर्त करने में जुटे हुए है। इसके लिए जिले के पढ़े-लिखे युवा भी नगरों की चकाचैंध को छोड़कर गांवों में जाकर स्वरोजगार के माध्यम से गांवों के विकास की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।

कोण्डागांव- आत्मा योजना के माध्यम से युवाओं को नई राह मिल रही है। जिसमें महिलाओं, अध्ययनरत् छात्र, पारम्परिक कृषक, स्नातकोत्तर युवा से लेकर शाला त्यागी युवा भी आगे आ रहे हैं। केशकाल के 10 कृषक एवं 05 बिहान महिला समूह सफलतापूवर्क मशरूम की कृषि कर रहे हैं। केशकाल के छोटे से गांव खेतरपाल के रहने वाले युवा महेश कुमार मण्डावी के परिवार वर्षो से पारम्परिक कृषि से जीविकोपाजर्न कर रहे थे। ऐसे में उन्हें अतिरिक्त आय के साधनों के साथ कुछ अलग करने की चाह थी। ऐसे में कृषि विभाग की ओर से बीटीएम नेहा मसर्कोले एवं असिस्टेंट टेक्नोलाॅजी मैनेजर साधना नेताम के द्वारा उन्हें कृषक मित्र बनकर मशरूम उत्पादन से जुड़ने की सलाह देते हुए उनके प्रशिक्षण, तकनीकी मागर्दशर्न, उत्पादन के लिए आवश्यक आदान सामग्री सहित अन्य सहायता उपलब्ध कराई गई। जिसके बाद उन्होने मशरूम उत्पादन प्रारंभ किया। सुकदेव पढ़ाई के साथ कर रहे मशरूम उत्पादन- नयानार निवासी एग्रीकल्चर बीएससी तृतीय वषर् के छात्र सुकदेव मरकाम को कृषि में रूचि के साथ इसे व्यवसाय के रूप में विकसित करने का निश्चय किया था। जिसके लिए उन्हें कोरोनाकाल में हो रही आनलाईन पढ़ाई के साथ अवसर मिला। जिससे उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ मशरूम का उत्पादन प्रारंभ किया। इसके लिए सुकदेव द्वारा मशरूम उत्पादन 300 बैगों में प्रारंभ किया गया। जिसमें उन्हें कुल 9160 रूपयों की लागत से फरवरी में शुद्ध लाभ के रूप में 18220 रूपयों का लाभ मिला है। सिंघनपुर के अविनाश नाग एवं अरण्डी के धनंजय नेताम स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद रोजगार के साधनों के लिए अपनी कृषि के प्रति लगाव के चलते आत्मा योजना के माध्यम से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में जुड़कर इसका व्यापार प्रारंभ किया। धनंजय द्वारा गत वर्ष 06 हजार की लागत पर कुल 50 हजार रूपयों का लाभ अर्जित किया गया था वहीं अविनाश द्वारा 7500 का निवेश कर 70 हजार रूपयों का लाभ प्राप्त किया गया था।