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कबाड़ से किया जुगाड़ और आदिवासी छात्र ने बना दिया ड्रोन व हेलीकाफ्टर

वर्षो तक लाल आंतक का ख़ौफ़ कम होते है कि नक्सलगढ़ में छिपी प्रतिभाएं खुलकर बाहर आने लगी है ऐसे ही एक प्रतिभाशाली छात्र है दीपेश कुमार मरकाम जो कि कक्षा 8 वी छात्र है वे कोंडागाँव जिले के करार्रमेटा माध्यमिक विद्यालय में अध्यनरत है इनकी वैज्ञानिकी सोच ने आज हर किसी को चंकित कर रखा है। नक्सलियों की मांद में निवासरत 13 वर्षीय इस आदिवासी छात्र ने अपनी वैज्ञानिकी सोच से कबाड़ में पड़ी चीजों को एकत्रित कर पहले ड्रोन बनाया और अब हेलीकाप्टर ।

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वर्षो तक लाल आंतक का ख़ौफ़ कम होते है कि नक्सलगढ़ में छिपी प्रतिभाएं खुलकर बाहर आने लगी है

छात्र दीपेश ने बताया कि, उनके माता पिता किसान है और उनकी दो बड़ी बहन है जो अभी पढ़ाई कर रही है। वह हमेंशा अपने परिजनों के साथ बाजार आया-जाया करता था इसी दौरान उसने एक दिन अपने पिता से उड़ने वाला हेलीकॉप्टर खरीदा लिया था। और घर आते ही उसके पूरे कल पुर्जे अलग अलग कर दिये ।

कोण्डागांव वैज्ञानिकी सोच के न केवल उनके परिजन बल्कि पूरा गांव व स्थानीय अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी हैरान है। बिना किसी गुरूज्ञान के इस छात्र की प्रतिभा के बलपर ही न केवल इस बनाया बल्कि उसे बेहतर तरीके से उड़ाने में भी महारत हासिल कर ली है। सोमवार को उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कलेक्टर के चेम्बर से समक्ष किया । तब वहाॅ मौजूद रहे अधिकारी व अन्य लोगों ने छात्र की इस प्रतिभा को देखते ही आश्चर्य चकित रह गए । जिले के अंदरूनी इलाकों से अब माओवादियों का डर खत्म होने के साथ ही प्रतिभाएं भी निखर सामने आने लगी है, और वे अपनी प्रतिभा के बलपर ही अपनी जगह स्वयं भी बनाते जा रहे है।

क्या कहते है छोटे वैज्ञानिक-

छात्र दीपेश ने बताया कि, उनके माता पिता किसान है और उनकी दो बड़ी बहन है जो अभी पढ़ाई कर रही है। वह हमेंशा अपने परिजनों के साथ बाजार आया-जाया करता था इसी दौरान उसने एक दिन अपने पिता से उड़ने वाला हेलीकॉप्टर खरीदा लिया था। और घर आते ही उसके पूरे कल पुर्जे अलग अलग कर दिये । जिस पर उसके माता-पिता ने उसे काफी डांट भी लगाई थी, लेकिन वह उसे पुनः जैसे-तैसे कर जोड़कर उड़ने लगा था। इसके बाद से ही उसकी वैज्ञानिकी सोच विकसित होती गई और अक्सर घर के उपर से उड़ने वाले हेलीकाफ्टर को देख वह सोचा करता था कि, वह एकदिन ऐसा ही बनाएगा जिसमें लोग बैठेगें। इसके बाद उसने घर की कबाड़ में पड़े रेडियो के एवं टेपरिकार्डर के पार्ट्स निकालकर उसने कोरोना काल के दौरान वर्ष 2021 में ड्रोन बनाया जिसने उसे विकासखंड स्तरीय प्रदशर्नी में प्रदशर्न के लिए लाया था वही अब उसने हेलीकाप्टर बनाया है जो उडता भी है। उसने बताया कि, वह अब मोबाईल के टच स्क्रीन को लेकर कुछ नया करने की कोशिश में है। दीपेश ने अपनी प्रतिभा के बल पर यह कारनामा किया है उसे किसी ने ट्रेनिंग नही दी । यू ट्यूब के माध्यम से अपने ज्ञान में वृध्दि की है वह वैज्ञानिक बनना चाहता है ।

उच्चशिक्षा के लिए पिता ने लगाई गुहार-

इधर पिता संजीव मरकाम गरीब है इनकी पारिवारिक स्थिति ठीक नही है उन्होंने अपने बच्चे की वैज्ञानिकी सोच को देखते हुए उन्होंने राज्यपाल से अपने बच्चे की बेहतर उच्चशिक्षा के लिए आथिर्क मदद की मांग भी की है। जिससे कि, उसका बेटा एक दिन देश के लिए कुछ बेहतर कर सके। वही कलेक्टर पीके मीणा भी दीपक की प्रतिभा से अभिभूत है उन्होंने उसकी निःशुल्क पढ़ाई के लिए दीपक के परिजनों को आश्वस्त किया है।