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Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir: इस दिन खुलेंगे लिंगेश्वरी माई के पट, साल में सिर्फ एक बार देती हैं दर्शन…

Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir: अधिकांश निसंतान दंपती संतान की प्राप्ति के लिए माता के दर्शन करने आते हैं। श्रद्धालुओं को हर साल माता लिंगेश्वरी का पट खुलने का बेसबरी से इन्जार रहता है जिसमें छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना लिए माता के दर्शन को पहुंचते है।

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Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir

Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir: साल में एक बार खुलने वाला मां लिंगेश्वरी मंदिर इस साल 18 सितंबर 2024 को खुलेगा, जिसका निर्णय मंदिर सेवा समिति के सदस्यों द्वारा लिया गया है। केशकाल विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत फरसगांव ब्लॉक के ग्राम झाटीबन आलोर के पहाड़ों के बीच एक गुफा में मां शिवलिंग के स्वारूप में लिंगेश्वरी माई विराजमान है, जहां हर वर्ष पूरे देश के सभी राज्यों से हजारों की संख्या में भक्त मन्नत की कामना लिए दर्शन करने आते हैं।

Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir: प्रथम बुधवार को खोला जाता है पट

जिले के नेशनल हाइवे 30 में फरसगांव विकास खंड मुख्यालय से पश्चिम दिशा की ओर महज 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम आलोर के समीप ग्राम झाटीबन में मां लिंगेश्वरी पहाड़ी के प्राकृतिक गुफा में शिवलिंग रूप में विराजमान है। (Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir) भक्तों के द्वारा मां लिंगेश्वरी को लिंगई माता के नाम से भी पुकारा जाता है। मां लिंगेश्वरी के गुफा का द्वार प्रति वर्ष की भांति वर्ष में एक दिन भाद्रपक्ष के नया खानी के पश्चात प्रथम बुधवार को खोला जाता है।

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बता दें कि इस वर्ष भी उसी नियमों के अनुसार 18 सितंबर 2024 को सुबह 6 बजे खोला जायेगा और रात्रि में जब तक भक्तजन की भीड़ रहती है तब तक पट खुला रहता है। रेत बिछाकर गुफा के पट को एक वर्ष के लिए बंद कर दिया जाता है। मान्यता के अनुसार गुफा का पट खुलने के पश्चात पूजा अर्चना के पश्चात सर्व प्रथम मां लिंगेश्वरी को चंपा का फूल चढ़ाया जाता है।

मंदिर के पट खुलने की परंपरा

Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir: श्रद्धालुओं को माता लिंगेश्वरी मेला का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना लिए माता के दर्शन को पहुंचते है आलोर, फरसगांव स्थित एक ऐसा दरबार है, जहां का दरवाजा साल में एक ही बार खुलता है। मंदिर का पट खुलते ही पांच व्यक्ति रेत पर अंकित निशान देखकर भविष्य में घटने वाली घटनाओं की जानकारी देते हैं।

रेत पर यदि बिल्ली के पंजे के निशान हों तो अकाल और घोड़े के खुर के चिह्न् हो तो उसे युद्ध या कलह का प्रतीक माना जाता है। पीढ़ियों से चली आ रही इस विशेष परंपरा और लोकमान्यता के कारण भाद्रपद माह में एक दिन लिंग की पूजा होती है। लिंगेश्वरी माता का द्वार साल में एक बार ही खुलता है। (Kondagaon Maa Lingeshwari Mandir) बड़ी संख्या में नि:संतान दंपति यहां संतान की कामना लेकर आते हैं। उनकी मन्नत पूरी होती है।