
जिले के प्रशासनिक अमले को तो यह पता ही नहीं कि, उनके इलाके की कोई खिलाड़ी का चयन सांई के लिए हुआ है। एक राष्ट्रीय खिलाड़ी जो देश के लिए खेलना चाहती है उसके सपने अब टूटने लगे है
कोण्डागांव- जिले के नक्सल प्रभावित इलाके की रहने वाली हॉकी की राष्ट्रीय खिलाडी सेंवती ने बताया कि, उसके पिता की मौत 2020 में होने के बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। चार बहनों में दो बड़ी बहनों का विवाह पहले ही हो चुका है। छोटी बहन एक निजी संस्थान में काम कर रही है मॉ की तबीयत भी हमेशा खराब रहती है। स्कूल स्तर पर दिखाई प्रतिभा के दम पर जब उसे प्रशिक्षण के लिए राजनांदगांव जाना था तब उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह वहॉ तक पहुंच पाए। जिसका उसे वहॉ नहीं तक पहुंच पाने का दुख तो है पर वह एक अच्छा हॉकी खिलाड़ी बनकर देश के लिए खेलने का सपना संजोकर रखी थी
आईटीबीपी ने दिलाई राष्ट्रीय खिलाड़ी की पहचान-
इलाके में तैनात आईटीबीपी 41 बटालियन के जवानों के द्वारा जिले के घोर माओवादी इलाके की आदिवासी युवतियों की खेल प्रतिभा को देखते हुए उन्हें हॉकी का प्रशिक्षण देकर आज उन्हें आज राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी के रूप में पहचान तो दिला दिया। जिसमें सेवती पोयाम भी एक है जो हॉकी एक बेहतरीन गोलकीपर के रूप में अपने आपको राष्ट्रीय स्तर पर साबित भी किया है। और जब इस खेल की और बारिकियां व दांव-पेज सिखने के लिए सांई में सलेक्शन हुआ तो गरीबी की दीवार सामने आकर खड़ी हो गई, हालांकि वह अब भी हॉकी को छोड़ना नहीं चाहती। क्षेत्रीय विधायक चंदन कश्यप ने कहा कि, यदि समय रहते हमें सूचना मिली होती तो हम जरूर मद्द करते अब देखते है क्या हो पाता है। वही जिला खेलधिकारी सुदराम मरकाम को तो पता ही नहीं है कि, जिले की किसी छात्रा का चयन सांई के लिए भी हुआ है।
Published on:
24 Feb 2022 09:46 pm
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