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केशकाल घाटी की दुर्दशा देख भाजपाई हुए लाल, एनएच में बैठकर रोका रास्ता

बस्तर की लाइफ लाइन माने जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के खस्ताहाल व मरम्मत कार्य में हो रही लापरवाही को देखते हुए शुक्रवार को भाजपाईयों ने केशकाल के विश्रामपुरी तिराहे पर एनएच के बीच बैठककर राज्य सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी करते रहे। भाजपाईयों ने कहा कि, जो सड़क दो साल में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था वह आज पांच साल बीत जाने के बाद भी नहीं बन पाया है। बल्कि इस मार्ग की हालत दिनो-दिन खस्ता होती जा रही हैं।

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केशकाल के विश्रामपुरी तिराहे में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर धरने पर बैठे भाजपा ई व अन्य

शुक्रवार को भाजपाईयों ने केशकाल के विश्रामपुरी तिराहे पर एनएच के बीच बैठककर राज्य सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी करते रहे। भाजपाईयों ने कहा कि, जो सड़क दो साल में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था वह आज पांच साल बीत जाने के बाद भी नहीं बन पाया है।

कोण्डागांव- राष्ट्रीय राजमार्ग 30 की जर्जर स्थिति को देखते हुए केशकाल घाट की मरम्मत को लेकर एनएच ने 10 दिनों की मियाद मांगते हुए घाटमार्ग से चलने वाली भारी-भरकम वाहनों को डायवर्ड करवा दिया था। लेकिन एनएच के द्वारा मांगी गई मियाद पूरी होने के बाद भी काम अधूरा रह जाने से विभाग के द्वारा और समय मांगा जा रहा है। जिससे भाजपाई आक्रोशित हो गए और इस तरह से लोगों को रोजाना हो रही परेशानी व सड़क के खस्ताहाल से होने वाली दुघर्टनाओं का हवाला देते हुए शुक्रवार को नारेबाजी बीच सड़क में डटे रहे। आंदोलनकारियों ने राज्यपाल के नाम एसडीएम केशकाल को ज्ञापन सौपा, सौपे गए ज्ञापन में बेड़मा से कांकेर राष्ट्रीय राजमार्ग व केशकाल घाट सड़क निमार्ण एवं मरम्मत कार्य में प्रदेश सरकार की लापरवाही सहित अन्य बातों का लेख किया गया है। आंदोलनकारियों को एनएच से हटाने का प्रयास तो पुलिस प्रशासन के द्वारा किया गया, लेकिन भाजपाई टस से मस नहीं हुए। आंदोलनकारियों को पहले तहसीलदार ने समझाने का प्रयास किया और जब बात नहीं बनी तब एसडीएम व एनएच के ईई मौके पर पहुंचे और तब जाकर आंदोलनकारियों ने विभागीय अधिकारी को तीन माह के भीतर इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का अल्टीमेटम देते हुए आंदोलन स्थगित किया। सांसद मोहन कांकेर मंडावी ने कहा कि, एनएच 30 की स्थिति को लेकर मैंने दो दफे लोकसभा में इस मामले को उठाया है। केंद्र से पैसा जारी होने के बाद भी राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। वही पूर्व सांसद बस्तर दिनेश कश्यप ने कहा राज्य में जब हमारी सरकार थी तो यह केशकाल फूलों की घाटी के नाम से पहचानी जाती थी, लेकिन इसके बाद यह गड्डों व धूल से पहचाने जाने लगी है।