8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गाँव की बेटी अनिता ने नक्सलगढ़ में डिजिटल डॉटर की बनाई पहचान

जहाॅ कुछ समय पहले तक अति संवेदनशील क्षेत्र कहे जानें वाले बंजोडा में कभी फोन लगाने के लिए नेटवर्क की तलाश करनी होती थी आज वहाॅ की बेटी अनिता बैध को इलाके के लोग डिजिटल इंडिया की बेटी के रूप में पहचानने लगे है। दरअसल आज बदले भारत के साथ अब हर चीज़ डिजिटल होने लगा है साथ ही साथ सुदूर अंचलों में शासन के द्वारा मोबाईल कनेक्टीविटी पहुंचाई जा रही है। जिससे समाज में अमूल चूल परिवतर्न दिखने लगे हैं।

2 min read
Google source verification
समाज में अमूल चूल परिवतर्न दिखने लगे हैं।

निता ने बताया कि, 12वी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद गांव में ही रोजगार की तलाश करने की कोशिश की। तब उन्हें मनरेगा योजना अंतगर्त गांव में महिला मेट के रुप में कार्य कर गांव के लोगों को रोजगार दिलाने के संबंध में जानकारी मिले और वे इसमें आवेदन करने के बाद काम पर लग गई।

कोण्डागांव- अब इलाके में महिलाओं की क्षेत्र के विकास में भागीदारिता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। इस डिजिटल युग में अब मनरेगा योजना में मजूदरों की उपस्थिति ऑनलाइन मोबाइल मॉनिटरिंग एप्प के माध्यम से किया जा रहा है ताकि समय पर ही मॉनिटरिंग हो सकें साथ ही समय पर मजदूरी भुगतान हो सकें। ऐसे में इन विकास से पिछड़े क्षेत्रों में पढ़ी-लिखी महिलाओं की कमी होती है। ऐसे में अनिता ने ऑनलाईन कार्य को करने में उत्साह दिखाया और उनको बीएफटी घासी के द्वारा मोबाइल मॉनिटरिंग के कार्यों कोे सिखाया गया। जिसे अनिता ने बड़ी कुशलता के साथ सीखा एवं जल्द ही इस पर कार्य शुरू कर दिया। जिले में उसके समान मस्टर रोल निमार्ण एवं कार्यो के निष्पादन में कोई भी उनके आसपास तक नहीं है। अनिता वैध ने मनेरगा योजना मोबाइल मॉनिटरिंग के माध्यम से भारत सरकार ही डिजिटल मॉनिटरिंग का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है। उसकी कार्य कुशलता को देख आस-पास के लोगों में उन्होंने डिजिटल इंडिया की बेटी के रुप में अपनी पहचान बना ली है। उनके द्वारा अब तक दिये गये 287 के लक्ष्य में से 215 मस्टर रोलों का निमार्ण नेटवर्क की समस्या के बावजूद भी पूरा किया है, जो कि लक्ष्य का 74.91 प्रतिशत है।

चुनौतियों का सामना करना है पंसद-

अनिता ने बताया कि, उन्हें प्रारंभ से ही चुनौतियां पसंद थी, मनरेगा से जुड़ने के बाद उन्हें क्षेत्र के लोगों में डिजिटल कायोर्ं के प्रति जागरूकता के अभाव के संबंध में पता चला। मेरे मन में हमेशा से ही नई तकनीकों एवं डिजिटल कार्यो के प्रति लगाव था। ऐसे में अवसर मिलने पर मेरे द्वारा कार्य में अपना श्रेष्ठ करने का प्रयास किया गया। जिससे मैं अपने क्षेत्र के विकास के लिए भी कुछ कर पा रही हूं। अनिता ने बताया कि, 12वी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद गांव में ही रोजगार की तलाश करने की कोशिश की। तब उन्हें मनरेगा योजना अंतगर्त गांव में महिला मेट के रुप में कार्य कर गांव के लोगों को रोजगार दिलाने के संबंध में जानकारी मिले और वे इसमें आवेदन करने के बाद काम पर लग गई।