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57 सरोवर हुए तैयार, अब अमृत धारा के लिए बारिश का इंतजार

कोरबा. जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत स्वीकृत हुए कुल ७५ सरोवरों में से ५७ सरोवर पूरे हो चुके हैं। शेष सरोवरों को १५ अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पूरे हो चुके कुछ सरोवरों में पानी भर चुका है, जबकि शेष को मानसून का इंतजार है। इन सरोवरों के पूरे होने से २१०० हेक्टेयर कृषि रकबे में सिंचाई बढऩे की उम्मीद है।

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 तीन-चार सरोवर में पानी हुआ जमा, १५ अगस्त तक ७५ सरोवर होंगे पूरे

तीन-चार सरोवर में पानी हुआ जमा, १५ अगस्त तक ७५ सरोवर होंगे पूरे

राष्ट्रीय रोजगार गारंटीय योजना के तहत 23 हजार मजदूरों ने 380 दिन काम करके 57 तालाबों का निर्माण पूरा किया है। केंद्र सरकार ने देश भर के सभी जिलों में 15 अगस्त 2023 तक अमृत सरोवर मिशन के अंतर्गत 75 सरोवर तैयार करने का संकल्प लिया है। अब तक जिले में 57 सरोवर पूरे हो चुके हैं। सात ऐसे सरोवर हैं जिनका निर्माण वर्षा के पहले पूरा होने से इनमें जल भराव भी हो चुके हैं। अब तक तैयार हो चुके सरोवर में आगामी मानसून में पहली बार जल भराव होगा।

१८ सरोवरों को पूरा करने का लक्ष्य
मानसून शुरू होने के पहले शेष बचे 18 सरोवरों का काम पूरा करना है। निर्माण कार्य जारी रहने से रोजगार सृजन दिवस भी बढ़ेगी। साथ ही जिन स्थानों में सरोवर का निर्माण हुआ है वहां खरीफ के अलावा ग्रीष्म में भी किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। सरोवर बनने से 2200 हेक्टेयर रकबा की मिट्टी क्षरण रूकेगी। जल संग्रहण क्षमता बढऩे के साथ 4.47 लाख क्यूबिक मीटर भूमिगत जल स्त्रोत संरक्षित होगा।

महिलाओं को मछली पालन के लिए देंगे लीज पर
सरकारी सरोवर होने के कारण जल भराव के पश्चात इसे महिला समूहों को लीज पर दिया जाएगा। इसमें मछली पालन के अलावा सिंघाडा उत्पादन भी किया जाएगा। जिला मत्स्य और उद्यानिकी विभाग स्वरोजगार के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। विभागीय अधिकारी की माने तो सरोवर निर्माण के लिए जिन महिला समूहों ने रोजगार गारंटी में काम किया है उन्हे ही लीज पर दिया जाएगा ताकि आगे भी इस योजना से वे रोजगार मूलक निर्माण कार्य को मूर्त रूप दे सकें।

मेंड़ों में विकसित होंगे फलोद्यान
सरोवर के मेड़ को निर्माण की शुरूआत से ही चौड़ा बनाया जा रहा है। आगामी मानसून से चारों ओर फलदार पौधों की रोपणी की जाएगी। रीपा योजना के तहत फलोद्यान विकसित करने की भी योजना है। वर्ष के अलग-अलग मौसम में व्यवसायिक आमदनी देने वाले सीता, बेर, अमरूद, आम, नीबू, कटहल आदि के पौधे रोंपे जाएंगे। इससे व्यवसाय की रूटिन बनी रहेगी और योजना से जुड़ी महिलाएं आर्थिक रूप से सुदृढ़ होंगी।