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किसान ने उधार चुकाने लिया 40 हजार का लोन, इसी बीच किसान की हो गई मौत कौन चुकाएगा लोन, यह सोचकर तेरहवीं के दिन अफसर पहुंचे और ले गए चेक

कोरबा ब्लॉक के ग्राम बुंदेली का मामला, किसान ने केसीसी के तहत सहकारी बैंक से लिया था लोन

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किसान ने उधार चुकाने लिया 40 हजार का लोन, इसी बीच किसान की हो गई मौत कौन चुकाएगा लोन, यह सोचकर तेरहवीं के दिन अफसर पहुंचे और ले गए चेक

किसान ने उधार चुकाने लिया 40 हजार का लोन, इसी बीच किसान की हो गई मौत कौन चुकाएगा लोन, यह सोचकर तेरहवीं के दिन अफसर पहुंचे और ले गए चेक

कोरबा. ये खबर अफसरों की असंवेदनशीलता को बयां करती है। एक किसान ने उधार लेकर खेती की। उधार चुकाने के लिए किसान ने 40 हजार का केसीसी लोन लिया। इसी बीच किसान की मौत हो गई। अफसरों को लगा कि अब लोन की राशि कौन जमा करेगा। अधिकारी किसान के घर आ धमके। उस दिन घर में तेरहवीं का कार्यक्रम चल रहा था। परिजनों ने अपनी गरीबी की दुहाई दी, फिर भी अधिकारी चेक ले गए।

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कोरबा ब्लॉक के ग्राम बुंदेली में रहने वाले संतराम की साढ़े छह एकड़ जमीन है। पिछले कई साल से इस जमीन पर खेती किसानी करते आ रहा था। इस साल भी उसने खेती किसानी शुरु की थी। इसके लिए उसे राशि की जरुरत थी, तो उसने किसी से उधार लिया था। इसे चुकाने के लिए संतराम ने सहकारी बैंक से ४० हजार का केसीसी लोन लिया था। जून में संतराम को केसीसी लोन का चेक मिला था। 22 जून को संतराम का निधन हो गया। संतराम के पुत्र श्याम लाल ने बताया कि दुख: की घड़ी बीती भी नहीं थी, कि सहकारिता बैंक के अधिकारी घर पहुंच गए। जिस दिन वे घर पहुंचे थे उस दिन घर में तेरहवीं का कार्यक्रम चल रहा था। घर में शोक का माहौल था। अधिकारियों ने चेक के बारे पूछा और वापस लेकर चले गए। श्यामलाल ने बताया के परिवार वालों ने अधिकारियों से लोन की राशि समय पर जमा करने की बात कही थी। उसके बाद भी वे नहीं माने। नॉमिनी में मृतक के पुत्र का नाम था, उसने समय पर लोन जमा करने की बात भी कही थी।

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किसान बीमा की नहीं मिली अब तक राशि
श्यामलाल कश्यप ने बताया कि हर वर्ष धान विक्रय करते समय किसान की बीमा राशि काट ली जाती है। पिता का बीमा हुआ था। उनके निधन के बाद अब तक इसकी राशि नहीं मिली है।। अभी तक बैंक की ओर से कोई जानकारी नहीं मिल रही है। बैंक में कई बार जाकर बीमा संबंधी चर्चा की गई, लेकिन अधिकारी बीमा की जानकारी देने से बच रहे हैं।

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मौसम की मार के बाद और भी परेशानी
श्यामलाल कश्यप ने बताया कि खेती के लिए घर में पैसे नहीं थे। किसान संत राम के पुत्र रामलाल लाल कश्यप (45) और श्याम लाल कश्यप (40) ने खेती के लिए साहूकार से ब्याज के साथ कुछ राशि एकत्र किया था, लेकिन मौसम ने भी दो बार परेशान किया। फसल के अनुरूप बारिश नहीं हुई। जब फसल को पानी नहीं चाहिए थी। उस समय जमकर बारिश हो गई।

30 हजार से अधिक रूपए हो गए खर्च
संत के दोनों पुत्रों का कहना है कि धान की खेती में खाद, मिट्टी, डीएपी, कीटनाशक दवाई व अन्य में अब तक 30 हजार रूपए से अधिक खर्च हो गए हैं। इसमें से कुछ फसल तैयार हो गए हैं। धान के लुआई, मिसाई व धान को खरीदी केंद्र तक ले जाने में और खर्च होंगे। इसके लिए जैसे-तैसे पैसे जुटाने में लगे हुए हैं।

इसकी जानकारी हम तक नहीं पहुंची है। अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच करायी जाएगी।
सुशील जोशी, नोडल अधिकारी, जिला सहकारी बैंक