
CG Coal: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कोयले के स्टॉक में आग लगने के कारण धुआं तेजी से आसपास के क्षेत्रों में फैलने लगी थी। धुआं खदान के वेंटिलेशन फैन तक पहुंच गई थी। इसके खतरे को देखते हुए एसईसीएल प्रबंधन ने 23 जुलाई को खदान बंद कर दिया था और यहां काम करने वाले कर्मचारियों की ड्यूटी नहीं लगाई जा रही थी। उन्हें बैठाकर कंपनी पैसा दे रही थी। लगभग सवा माह तक यह सिलसिला चलता रहा।
CG Coal: अब जब धुआं उठने की प्रक्रिया थमने की ओर है तो कंपनी प्रबंधन ने खदान को उत्पादन के लिए फिर से खोल दिया है। हालांकि उत्पादन का कार्य 26 अगस्त से चालू किया गया है मगर अब जाकर खदान पूर्व रूप से उत्पादन में आ गई है। लेकिन कोयले (CG Coal)के स्टॉक में लगी आग अभी तक नहीं बुझ सकी है। इसे बुझाने के लिए प्रबंधन की ओर से कोशिश की जा रही है। टैंकर से पानी लाकर डाला जा रहा है। मगर कोयले की आग है कि थम नहीं रही है। उत्पादन चालू होने से खदान में काम करने वाले 700 से अधिक मैनपावर का इस्तेमाल कंपनी ने शुरू किया है। जब खदान से कोयला बाहर नहीं निकल रहा था तब कंपनी इन मजदूरों को बैठाकर रोजाना हाजि
एसईसीएल की बगदेवा कोयला खदान से खनन के बाद बाहर निकला कोयला पास के स्टॉक में रखा जाता है। जिस समय स्टॉक में आग लगी थी उस समय यहां 50 से 60 हजार टन कोयला उपलब्ध था। यह दावा श्रमिक संगठनों की ओर से की गई है। श्रमिक संगठन की ओर से बताया गया है कि आग लगने के कारण अभी तक 20 हजार टन से अधिक कोयला जलकर राख हो गया है लेकिन कोयल कंपनी का प्रबंधन इसकी जांच कराने में रूचि नहीं ले रहा है। यूनियन का कहना है कि ऐसा करके प्रबंधन अपने अधिकारियों को बचा रहा है जिन्होंने समय रहते कोयले का उठाव नहीं करवाया।
लगभग सवा माह तक बंद रहने के बाद एसईसीएल की अंडरग्राउंड कोयला खदान बगदेवा से उत्पादन फिर सामान्य हो गया है। स्थानीय प्रबंधन 700 से अधिक मैनपावर का इस्तेमाल करने लगा है। हालांकि अभी कोयले के स्टॉक में लगी आग को पूरी तरह से बुझाया नहीं जा सका है। मगर अभी तक आग लगने के कारणों की जांच प्रबंधन की ओर से शुरू नहीं की गई है। इससे यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि इसके पीछे कौन जिम्मेदार हैं।
स्टॉक में आग लगने के कारण उत्पादन क्षति हुई है। इससे कंपनी को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है साथ ही श्रमिक संगठन मान रहे हैं कि यहां से लक्ष्य की प्राप्ति करना बगदेवा प्रबंधन के लिए आसान नहीं होगा। गौरतलब है कि कोरबा एरिया की कोयला खदानें पहले से घाटे में चल रही है और यह घाटा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
Updated on:
13 Sept 2024 01:38 pm
Published on:
13 Sept 2024 01:37 pm
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