
कोरबा . विकास की मुख्यधारा से दूर संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा परिवार के महिला की डिलेवरी अस्पताल के बजाय जंगल में स्ट्रेचर पर करानी पड़ी। इसकी वजह रही घर तक पहुंचने के लिए एम्बुलेंस के लिए रास्ता न होना। करीब दो किलोमीटर का सफर तय करने के बाद एम्बुलेंस चालक और स्टॉफ महिला के घर पैदल स्ट्रेचर लेकर पहुंचे थे और प्रसव के बाद अब जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं।
घटना कोरबा ब्लाक के पहाड़ी कोरवा की बस्ती सरडीह की है। गर्भवती महिला शांति बाई कोरवा को शनिवार सुबह प्रसव पीड़ा हुई। परिवार ने महिला को अस्पताल में डिलेवरी कराने के लिए महतारी एक्सप्रेस को कॉल किया। चालक एम्बुलेंस लेकर ग्राम सरडीह के लिए रवाना हुई पर ग्राम मदनपुर के से गांव तक पहुंचाने के लिए रास्ता नहीं है।
गांव तक पहुंंचने के लिए नाला भी पार करना पड़ता है। यह देखकर एम्बुलेंस ड्राइवर ने गाड़ी को नाला के पास खड़ी कर दी। स्ट्रेचर निकालकर प्रसव पीडि़ता को लेने इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन त्रिभुवन प्रजापति और ड्राइवर नीरज मिश्रा पैदल सरडीह की बस्ती पहुंचे। करीब दो किलोमीटर की पैदल सफर के बाद त्रिभुवन और नीरज पहाड़ी कोरवा के घर पहुंचे। महिला को स्ट्रेचर पर लेटाकर गाड़ी तक ला रहे थे। इस बीच महिला को तेज प्रसव पीड़ा हुई। रास्ते में ही डिलेवरी कराने की नौबत आ गई।
स्टॉफ ने स्थिति को देखते हुए जंगल में ही परिवार की उपस्थिति में शांति बाई की डिलेवरी कराई। जच्चा बच्चा को स्ट्रेचर पर लेकर नाला पार करते एम्बुलेंस के पास पहुंचे। दोनों को मदनपुर के सब हेल्थ सेंटर पहुंचाया गया। शाम तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा। टीकाकारण के बाद देर शाम महिला की छुट्टी कर दी गई। प्रसव के दौरान परिवार के अलावा गांव की मितानिन रातियानो भी उपस्थित थी। शांति बाई का यह दूसरा बच्चा था। प्रसूता के परिजनों एवं ग्रामीणों ने उक्त चिकित्सा कर्मियों को धन्यवाद दिया और उनके योगदान की सराहना की।
Updated on:
18 Mar 2018 10:40 am
Published on:
18 Mar 2018 10:35 am
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