
संक्रमण से डर तो है, पर डर के आगे जीत है, इस सोच के साथ संकट के इस घड़ी में कार्य कर गर्व महसूस कर रहे हैं ये कोरोना फाइटर्स
कोरबा. कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन है। इसकी लड़ाई में चिकित्सक, पुलिस, सफाईकर्मी सहित अन्य कर्मचारी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। इसी तरह टे्रनों के परिचालन के लिए रेलवे कर्मचारी भी आवश्यक सामग्री व कोयला आपूर्ति के लिए निर्धारित समय से अधिक समय तक लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। इससे रेलवे कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य गर्व महसूस कर रहे हैं। उनके कार्य में परिवार के सदस्य सामंजस्य स्थापित करते हुए हर घड़ी उनके साथ हैं।
कर्मचारियों व उनके परिवारों का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से डर है, लेकिन डर के आगे जीत है। हमें गर्व है कि इस संकट की घड़ी में देश की सेवा में जुटे हुए हैं। ताकि कहीं भी आवश्यक सामग्री व कोयला आपूर्ति की कमी नहीं हो। इसमें रेलवे कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
कोरबा से छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिले सहित चार अन्य प्रदेश के चिकित्सालय व घरों तक निर्बाध बिजली पहुंच रही है। दरसअल जिले के विभिन्न साइडिंग से छत्तीसगढ़ समेत महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान व मध्यप्रदेश के विभिन्न पावर कंपनियों तक कोयले की आपूर्ति की जा रही है। कोयले के माध्यम से विद्युत उत्पन्न हो रही है। हालांकि कोरोना वायरस की वजह से थोड़ी परेशानियां हो रही है, लेकिन कुछ दिन के बाद हम लड़ाई जीत जाएंगे।
इन दिनों पैसेंजर टे्रन बंद है। रेलवे स्टेशन में स्टॉल बंद है। ऐसे में रेलवे कर्मचारियों को घर से पानी बॉटल, टिफिन, हैंड ग्लब्स, मास्क व अन्य जरूरी समान लेकर निकलते हैं। वापसी के दौरान मालगाड़ी के दूसरे इंजन व ब्रेकवेन में बैठकर लौटना पड़ता है। इसी तरह कोरबा रेलवे के लगभग 1380 रेलवे कर्मचारी कोरोना वायरस के संक्रमण की लड़ाई के लिए अपना-अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं।
चाचा आप अपने सेहत का रखना ध्यान
लॉकडाउन में संस्कृति देवांगन अपने चाचा और चाची का पूरा ध्यान रखती है। वह कहती है कि चाचा ड्यटी के दौरान अपने सेहत का ध्यान रखना। लोको पायलट आरके देवांगन रेलवे और उसकी पत्नी त्रिप्ती देवांगन जिला अस्पताल कोरबा में फार्मासिस्ट है। इस दौरान संस्कृति दोनों का ध्यान रखती है। ताकि उन्हें कर्तव्य निभाने के दौरान किसी तरह की परेशानी नहीं हो।
फर्ज पहले है पापा
पुत्री आकांक्षा कहती है कि पापा हमारे साथ समय बिताओ। समझाने के बाद कहती है पहले फर्ज है पापा। सहायक लोको पायलट टीके महंत ने बताया कि हमसे ज्यादा बच्चे जागरूक हैं। घर में प्रवेश करने से पहले पुत्री आकांक्षा सेनेटाइज करती है। इसके बाद ही प्रवेश मिलता है। पत्नी पुष्पलता महंत ड्यूटी जाने से पहले टिफिन और पानी बॉटल तैयार करती है।
गले लगाने के लिए दौड़ते हैं बच्चे
गुड्स गार्ड पीजी गोस्वामी ने बताया कि अयांश डेढ़ साल का बच्चा है। ड्यूटी के बाद घर पहुंचते ही बच्चे गले लगाने के लिए दौड़ते हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मुझे उनसे दूर भागना पड़ता है। सेनेटाइज होने के बाद बच्चों को गोद में लेता हूूं। पत्नी निशा गोस्वामी ड्यूटी जाने से पहले १२ घंटे के लिए टिफिन तैयार व अन्य सामान तैयार कर हौसला बढ़ाती है।
Published on:
21 Apr 2020 11:07 am
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