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शाम तक खुशियां झलक रही थी इन किसानों के चेहरों पर, अचानक ऐसा क्या हुआ कि सुबह होते ही आंखों में भर आए आंसू, पढि़ए खबर…

किसानों ने महीने भर की मेहनत से उगाए धान की फसल पूरी तरह चौपट हो गया है।

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कोरबा

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Shiv Singh

May 12, 2018

शाम तक खुशियां झलक रही थी इन किसानों के चेहरों पर, अचानक ऐसा क्या हुआ कि सुबह होते ही आंखों में भर आए आंसू, पढि़ए खबर...

करतला. भीषण गर्मी में खेत में धान की फसल देख कर खुश हो रहे सिमकेदा के किसान जब पता चला कि हाथियों ने फसल रौंद दी तो वे देखने के लिए खेत पहुंचे। पूरी फसल तहस-नहस देख कर किसानों की आंखों में आंसू आ गए। किसान वन विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली से भी नाराज हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नव विभाग केवल सतर्क रहने की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता जा रहा है और हाथियों के आतंक से किसान परेशान हो चुके हैं।

जानकारी के अनुसार कुदमुरा वनपरिक्षेत्र के ग्राम सिमकेदा में गुरुवार की रात 20 हाथियों का झुण्ड ने कई किसानों की कई एकड़ में लगी धान फसल को पूरी तरह से रौंद दिया। किसानों ने महीने भर की मेहनत से उगाए धान की फसल पूरी तरह चौपट हो गया है। लेकिन जब गांव के लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी है, लेकिन वन विभाग का लापरवाहीपूर्ण रवैया देख कर किसान बेहद आक्रोश में हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक-दो महीने से हाथी कुदमुरा करतला क्षेत्र में आतंक मचा रहे हैं, बल्कि कई सालों से हाथी से प्रभावित गांव के लोग त्रस्त हैं। वन विभाग सिर्फ ग्रामीणों को सतर्क रहने की दलील दे रहा है। हाथियों को खदेडऩे के उपाय नहीं ढूंढे जा रहे हैं।

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हाथियों के द्वारा किये गए फसल नुकसान का आकलन भी वन विभाग नहीं कर पा रहा है। न ही हाथियों से राहत दिलाने की कोशिश की जा रही है। जब सिमकेदा के किसानों को पता चला कि हाथियों ने खेतों में फसल बर्बाद कर दिया हैं। तो वे खेत पहुंचे तो खेत में लगे धान फसल तबाही देख किसान अपने आंसू नहीं रोक पाए।

सिमकेदा गांव के गौतम राठिया ने बताया कि पहले हाथियों की संख्या कम थी। अब हाथियों की संख्या बढ़ गई है, जो अलग अलग झुण्ड में विचरण कर रहे है। किसानों ने फसल के लिए जैसे-तैसे रकम जुटायी थी और वे इस उम्मीद थे कि अच्छी फसल होने पर यह रकम चुकाएंगे। हाथियों ने जिन किसानों की फसल रौंदी है, उनमें बालमुकुंद सिंह राठिया, चंद्र सिंह राठिया,सुकेदेव सिंह राठिया आदि मुख्य हैं। सबसे अधिक नुकसान इन्हीं किसानों का हुआ है।