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शिक्षा विभाग ने फिर किया कमाल, इस बार अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बांट दिए हिन्दी में छपे प्रश्र पत्र, दो में से एक घंटे शिक्षक करते रहे अनुवाद

100 से अधिक सीजी बोर्ड से संबद्ध अंग्रेजी माध्यम के स्कूल जिले में संचालितसभी अंग्रेजी माध्यम स्कूल के बच्चे परीक्षा में उलझे रहे

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सभी अंग्रेजी माध्यम स्कूल के बच्चे परीक्षा में उलझे रहे

शिक्षा विभाग ने फिर किया कमाल, इस बार अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बांट दिए हिन्दी में छपे प्रश्र पत्र, दो में से एक घंटे शिक्षक करते रहे अनुवाद

कोरबा. अपनी कारगुजारियों से हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले जिले के शिक्षा विभाग ने एक और कारनामे को अंजाम दिया है। इस बार सीजी बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम से संचालित होने वाले स्कूलों में चल रही परीक्षा में हिन्दी में छपे प्रश्न पत्र बांट दिए गए हैं। जिसके कारण परीक्षा औचित्यहीन साबित हुई और परीक्षा के कुल दो घंटे की अवधि में से एक घंटे तक शिक्षक प्रश्न पत्रों का ही हिन्दी से अंग्रेजी में अनुवाद करते रहे।

दरअसल इस वर्ष प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लर्निंग आऊटकम का पता लगाकर उपयुक्त योजना बनाने के साथ ही शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए राज्य स्तर से सभी जिलों में एक साथ पहली से आंठवी तक की परीक्षाएं संचालित की जा रही हैं। हालांकि इन परीक्षा में ना तो किसी को पास-फेल किया जाएगा और ना ही किसी जिले की रैंकिंग होगी। मकसद सिर्फ बच्चों के बौद्धिक स्तर का पता लगाना है। ताकि शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जा सके। अब जिले का शिक्षा विभाग राज्य शासन की इस योजना को पलीता लगाने पर आमादा है।

सोमवार को 5वीं और 8वीं दोनो की कक्षाओं के तय कार्यक्रम के तहत गणित विषय के परीक्षा का आयोजन किया गया। इस दौरान 8वीं के पर्चे ठीक थे। लेकिन 5वीं कक्षा के अंग्रेजी माध्यम के परीक्षार्थियों के प्रश्न पत्र अंग्रेजी में ना होकर हिन्दी में छपे थे। संकुल केन्द्रों से प्राप्त इन प्रश्न पत्रों को स्कूल प्रबंधन देखते ही भौचक्के रह गए।

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जिले के विभिन्न क्षेत्रों में संचालिए ऐसे अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल प्रबंधनों ने इसकी जानकारी तत्काल संकुल प्रभारी से लेकर उच्चाधिकारियों को दी। लेकिन परीक्षा का समय शुरू हो चुका था। राज्य भर में एक साथ परीक्षाएं चल रही थी। इसलिए विभाग ने भी कन्नी काटने का प्रयास किया और सभी स्कूल प्रबंधनों से प्रश्न पत्र का अनुवाद करके बच्चों को नोट कराने को कह दिया। जिसमें काफी समय तो बर्बाद हुआ ही इसके साथ ही साथ 5वीं कक्षा के बच्चे परीक्षा के समय तक पूरी तरह उलझे रहे। कई बच्चों ने गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय का पर्चा हल ही नहीं किया। अब ऐसी परिस्थितियों में बच्च्चों के लर्निंग आऊटकम का निर्धारण कैसे होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

सभी स्कूलों में एक जैसे हालात
इस विषय में अलग-अलग अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से जानकारी ली गई। कोसाबाड़ी स्थिति ब्लू बर्ड स्कूल की प्राचार्य ने कहा कि पहले तो कुछ समझ में नहीं आया फिर पता चला कि गलती से प्रश्न पत्र हिन्दी में छप गया है। ठीक है गलती तो किसी से भी हो सकती है, फिर हमने बच्चों को अनुवाद करके बताया जिसके बाद बच्चों से पर्चा हल किया। बीकन स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि पर्चा हिन्दी में छपे होने की जानकारी संकुल प्रभारी को दी तो जवाब मिला कि आप ट्रांसलेट करके के पर्चा हल कराइए। हमने ऐसा ही किया। लेकिन इसमें काफी समय बर्बाद हुआ। इसी तरह शहर के आस-पास के दर्जन भर स्कूलों से जानकारी ली गई, जहां एक जैसे हालात रहे। जिले में सीजी बोर्ड से संबद्ध लगभग 100 अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल संचालित हैं। इन सभी स्कूलों के ५वीं कक्षा के छात्र गणित के पर्चे में खासे उलझे रहे।

छपाई जिला स्तर से, राज्य ने भेजा ब्लू प्रिंट
5वीं और 8वीं के प्रश्न पत्र राज्य स्तर से जरूर भेजे गए हैं, लेकिन इनकी छपाई जिला स्तर पर ही कराई गई है। जिसका वितरण डीईओ कार्यालय से सभी बीईओ को किया और बीईओ से संकुल फिर संकुल से स्कूलों तक प्रश्र पत्रों को पहुंचाए गए हैं। राज्य स्तर से हिन्दी और अंग्रेजी दोनो माध्यमों के ब्लू प्रिंट सीडी में डालकर जिला स्तर पर प्रेषित किया गया है। इसलिए इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारी जिले के शिक्षा विभाग की ही बनती है। पड़ोसी जिलों में भी ऐसी किसी तरह की घटना की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

-प्रश्न पत्रों की हिन्दी व अंग्रेजी दोनो माध्यमों की सीडी जिलों को प्रदाय की गई है। जिसकी छपाई जिले में ही कराई गई है। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में हिन्दी के प्रश्र पत्र प्रदाय करने जैसी विसंगति की जानकारी फिलहाल कोरबा से प्राप्त नहीं हुई है। लेकिय यदि ऐसा हुआ है तो आवश्यक संज्ञान लिया जाएगा।
-पी दयानंद, एमडी, समग्र शिक्षा अभियान

-जिला स्तर से ही प्रश्र पत्र भूलवश हिन्दी में छपकर आए थे। स्कूल प्रबंधकों से जानकारी मिलते ही उच्चाधिकारियों को सूचना दी। जिसके बाद निर्देश मिले कि ट्रांसलेट करने परीक्षा हल करवाएं। स्कूलों को भी ऐसा ही निर्देश दिया गया।
-विनय सोनवानी, संकुल प्रभारी, दर्री