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केबल कटा तो तीन सौ कनेक्शन ठप जिले में हर साल केवल मरम्मत पर एक करोड़ व्यय करता है BSNL

प्योर कॉपर का होता है केबल कटने के बाद चोरी भी

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कोरबा

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Shiv Singh

Jun 02, 2018

प्योर कॉपर का होता है केबल कटने के बाद चोरी भी

प्योर कॉपर का होता है केबल कटने के बाद चोरी भी

कोरबा . निगम के ठेकेदार द्वारा पाइप लाइन बिछाने के लिए किए जा रहे खोदाई कार्य के दौरान फिर बीएसएनएल की केबल कट गई है। बात यहीं खतम नहीं होती। प्योर कॉपर की महंगी केबल कटने के बाद केबल चोरी भी कर ली जाती है। मरम्मत के साथ ही नए केबल डालने में बीएसएनएल को हर साल भारी भरकम राशि व्यय करनी पड़ती है।

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ताजा मामला निहारिका क्षेत्र के आरपी नगर का है। जहां निगम द्वारा पाइप लाइन बिछाने का के लिए गड्ढे खोदे जा रहे हैं। इस दौरान बीएसएनएल की भूमिगत केबल कट गई है। जिससे आरपी नगर व कोसाबाड़ी क्षेत्र के 300 से अधिक लैंडलाइन व ब्रॉडबैंड कनेक्शन पूरी तरह से ठप पड़ गए हैं। लोगों में इसे लेकर नाराजगी है। लेकिन विभागों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब तो यह एक तरह से सामन्य प्रक्रिया हा हिस्सा हो गया कि जब भी निगम द्वारा किसी क्षेत्र में खोदाई का कार्य किया जाएगा। तब बीएसएनएल की केबल कटेगी ही।


तारों के कटने से पिछले दो दिनों से कनेक्शन ठप हैं। काम काज पूरी तरह से प्रभावित रहा। जिसकी सूचना पाकर बीएसएनएल के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और तत्काल काम कलेक्शन रिस्टोरेशन का काम शुरू किया गया है। जिसके बाद कटी तारों को जोडऩे का कार्य बीएसएनएल द्वारा किया जा रहा है।

तारों की भी चोरी
बीएसएनएल द्वारा टेलीफोन कनेक्शन की भूमिगत तारें प्योर कॉपर की होती हैं। जिसकी कीमत मार्केट में 300 से 400 रूपए प्रति मीटर है। तार कटने के बाद इसकी चोरी भी हो जाती है। जिसकी वजह से बीएसएनएल द्वारा मरम्मत पर भारी भरकम राशि व्यय की जाती है।

जितना खर्च मरम्मत पर होता है, उतना ही खर्च नई तार नए सिरे में दोबारा स्थापित करने में लग जाता है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले दो-तीन वर्षों में गड्ढे खोदने के दौरान बीएसएनएल की तार कटने से प्रति वर्ष एक करोड़ रूपए बीएसएनएल द्वारा सिर्फ मरम्मत कर खर्च किया जा रहा है। विभाग चाहें तो समन्वय कर यह राशि बचा सकते हैं।

सटीक नक्शा है स्थाई समाधान, लेकिन मौके पर एक्सपर्ट का रहना भी जरूरी
शहर में जहां-जहां से भी बीएसएनएल की भूमिगत तारों को बिछाया गया है। उनका अपडेटेड नक्शा बीएसएनएल के पास मौजूद नहीं है।

हालांकि हर क्षेत्र पुराना मानचिऋ विभाग के पास है। लेकिन जिले का कांक्रीटीकरण, विकास, बेजाकब्जा और अन्य कारणों से विभाग इसे वर्तमान में अपडेट नहीं कर सहा है। लेकिन यह नक्शा अपडेट हो भी जाए तो यह उपयोगी तभी होगा जब खोदाई किए जाने के दौरान निगम व बीएसएनएल के एक्सपर्ट मौके पर मौजूद हों।


जबकि वर्तमान में होगा यह है कि खोदाई का ठेका लेने वाले ठेकेदार जेसीबी ऑपरेटर को बता देते हैं कि इस दिशा में सड़क को खोद डालना है। जिसके बाद जेसीबी का ड्राईवर बेतरबीत ढंग से ताबड़तोड़ खोदाई कर एक दिन में ही काम खतम कर देता है। कोई एक्सपर्ट मौके पर मौजूद नहीं होता। खोदाई के दौरान जब केबल कट जाती है। तब अफसर मौके पर पहुंचते हैं।