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कोरबा

वन विभाग को पीएम रिपोर्ट का इंतजार, करंट लगने से हाथी की मौत के मामले में ग्रामीण पर हो सकती है एफआईआर

विभाग को वेटनरी डॉक्टरों से पीएम रिपोर्ट का इंतजार

कोरबाAug 25, 2018 / 04:03 pm

Shiv Singh

विभाग को वेटनरी डॉक्टरों से पीएम रिपोर्ट का इंतजार

अंतिम संस्कार की कार्रवाई

कोरबा. बेला में हाथी की मौत के मामले में वन विभाग को वेटनरी डॉक्टरों से पीएम रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट आने के बाद भी कंरट लगाने वाले ग्रामीण पर एफआईआर दर्ज होगी।


गौरतलब है कि बुधवार को ग्राम बेला के उरांव बस्ती में करंट की चपेट में आने से नर हाथी की मौत हो गई थी। मादा हाथी के पूरे एक दिन तक नर हाथी के शव के पास रहने की वजह से पीएम व अंतिम संस्कार की कार्रवाई दूसरे दिन हो सकी थी। पहले मौत को लेकर कहा जा रहा था कि बिजली के लिए खींचे गए तार की चपेट में हाथी आ गया था,
लेकिन जब वन अमले ने जांच की तो यह स्पष्ट हुआ कि ग्रामीण ने ही अपने बचाव के लिए घर की बाड़ी में करंट की तार को बिछा दिया था। हाथी के आने के बाद जब ग्रामीण घर छोड़कर सुरक्षित जगह पर जा रहा था। तब उसके स्वीच को चालू कर भाग गया था। इसी की करंट में आकर उसकी मौत हो गई थी।
जांच कर ग्रामीण महादेव राठिया का बयान भी दर्ज किया गया था। जिसमें उसने कबूल किया कि अपने परिवार को बचाने के लिए उसने यह काम किया। अब इस मामले में वन विभाग को वेटनरी डॉक्टर से पीएम रिपोर्ट का इंतजार है। उधर विभाग गांव के अन्य ग्र्रामीणों से भी बिजली तार को लेकर बयान दर्ज कराया जा रहा है।


पूरा परिवार सुरक्षित जगह पर, फिर भी स्वीच ऑन किया इसलिए मामला गंभीर
भले महादेव राठिया का कहना है कि उसने अपने व परिवार की सुरक्षा के लिए तार बिछाया था। और उसकी स्वीच चालू कर दी थी, लेकिन बड़ा सवाल उठा रहा है कि जब वह और उसका परिवार सुरक्षित जगह पर जा चुका था। फिर भी उसे करंट चालू करने की जरूरत क्यों पड़ी। यही वह एक पहलू है जिससे उसके खिलाफ हाथी को मारने के लिए जिम्मेदार ठहरा सकता है। वन विभाग को पहले उसने करंट के सम्बंध में कोई जानकारी नहीं होना बताया था। लेकिन बाद में उसने यह कबूल किया।


हाथी-मानव द्वंद, किसी न किसी की जान पक्की
पिछले कई साल से हाथी व मानव के बीच एक अघोषित तौर पर द्वंद कोरबा के जंगलों में चल रहा है। अधिकांश मामलों में मानव हाथी की चपेट में आ रहा है। तो कई बार मानव के बिछाएं जाल में हाथी लपेटे में आकर अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। विषेशज्ञों की मानें तो इसके लिए सिर्फ व सिर्फ हाथी अभ्यारण बनाना एक मात्र विकल्प है। जो कि पहले बालको क्षेत्र के नकिया, विमलता से लेकर लेमरू तक प्रस्तावित था। लेकिन बाद मेेंं इस क्षेत्र में कोयला की उपस्थिति दर्ज होते ही सरकार ने अभ्यारण की पूछ परख तक नहीं की।


-वेटनरी डॉक्टरों से अब तक पीएम रिपोर्ट नहीं मिल सका है। गांव में अन्य ग्रामीणों से भी बयान दर्ज किया जा रहा है। जिसके बाद भी आगे की कार्रवाई हो सकेगी।
-एम फारूर्खी, रेंजर, बालको।

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