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यहां है कोयले का भंडार, इतने हजार करोड़ का राजस्व मिलने की संभावना, पर कौन सा फंस रहा पेंच, पढि़ए खबर…

नहर के नीचे 500 मिलियन टन कोयला है। साथ ही क्षेत्र में 11 हजार टन कोयला मिलने का अनुमान है।

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कोरबा

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Shiv Singh

Jun 14, 2018

यहां है कोयले का भंडार, इतने हजार करोड़ का राजस्व मिलने की संभावना, पर कौन सा फंस रहा पेंच, पढि़ए खबर...

यहां है कोयले का भंडार, इतने हजार करोड़ का राजस्व मिलने की संभावना पर कौन सा फंस रहा पेंच, पढि़ए खबर...

कोरबा. सर्वमंगला मंदिर के समीप दायीं तट नहर को शिफ्टिंग के लिए प्रशासन ने एक हजार करोड़ का एक्वाडक बनाने के लिए एसईसीएल से कहा है। इसके बनने के बाद नहर में पानी का फ्लो देखा जाएगा। अगर कहीं से भी नहर में पानी का बहाव में कमी आती है तो वर्तमान नहर के अधिग्रहण व उत्खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

एसईसीएल कुसमुंडा खदान का विस्तार करने 1०52 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत होनी है। जिसमें दायीं तट नहर का 8 किलोमीटर हिस्सा भी शामिल हैं। नहर के नीचे 500 मिलियन टन कोयला है। साथ ही क्षेत्र में 11 हजार टन कोयला मिलने का अनुमान है। इससे 63 हजार करोड़ का राजस्व मिलने की संभावना जताई गई है। लेकिन सिंचाई विभाग ने एसईसीएल प्रबंधन को दो माह पूर्व नहर को बिना शिफ्ट किए जमीन अधिग्रहण की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

दर्री बरॉज से निकली दायीं तट नहर के 9.5 से 17.35 किलोमीटर तक कोयले का भंडार है। जो सर्वमंगला से खैरभवना, सोनपुरी तक 8 किलोमीटर की लंबाई होती है। सीएमपीडीआई ने वर्ष 2011 में सर्वे करने के बाद रिपोर्ट कोल इंडिया को दिया था। कोयला निकालने के लिए नहर को शिफ्ट करने की जरूरत है। एसईसीएल के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव व जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव पहले ही सहमति दे चुके हैं। एसईसीएल ने प्राइवेट कंपनी से भी कोयला भंडार का सर्वे कराया था।

एसईसीएल ने जिला प्रशासन से जमीन अधिग्रहण के लिए अनुमति देने की मांग की थी। अब इसके लिए सिंचाई विभाग ने एसईसीएल से एक हजार करोड़ की लागत से एक्वाडक बनाने को कहा है। इसके लिए धारा ९ के प्रकाशन की अनुमति भी दी गई है। इसके लिए शर्त रखी गई है कि एक्वाडक बनने के बाद उसकी उपयोगिता देखी जाएगी। अगर कहीं से समस्या आती है तो नहर में उत्खनन की अनुमति नहीं मिलेगी।

जांजगीर-चांपा जिले के खेतों को दर्री बरॉज से पानी छोड़ा जाता है। पूरी तरह से नहर पर ही किसान निर्भर है। ऐसे में अगर कोयला उत्खनन के लिए पानी पर भविष्य में परेशानी होती है। तो यह बड़ी समस्या सामने आ जाएगी। इसलिए प्रशासन कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है।

ऐसा होगा एक्वाडक
वर्तमान में दायीं तट नहर को एसईसीएल द्वारा नहर के दूसरी तरफ शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इसमें कई जगह मोड़ व चढ़ान होने की वजह से पानी के फ्लो पर समस्या हो सकती थी। लिहाजा सिंचाई विभाग ने एक्वाडक की येाजना बनाई गई है। जो कि सर्वमंगला मंदिर तट पर बनेगी। ओवरब्रिज की तरह पिल्लर खड़े किए जाएंगे। नहर से नदी ढलान पर है। एक्वाडक की ऊंचाई नहर के बराबर रखी जाएगी। जो कि 10 किलोमीटर लंबी होगी।

शहर को मिलेगा एक और बाइपास
नहर शिफ्ट करने की योजना में सड़क भी प्रस्तावित किया गया है। जो कि नहर के किनारे बनाई जाएगी। एसईसीएल कुसमुंडा की क्षमता अभी 26 मिलियन टन है। इसे 50 मिलियन टन करने की योजना है। सिंचाई विभाग ने नहर को शिफ्ट करने के लिए 2100 करोड़ की प्रारंभिक लागत बताई है। एक्वाडक बनाने के साथ-साथ जमीन अधिग्रहण भी एसईसीएल को करनी होगी।

-एसईसीएल द्वारा कोयला उत्खनन के लिए दायीं तट नहर की शिफ्टिंग की मांग की गई है। चूंकि यह नहर दोनों जिलों के लिए लाइफलाइन है। इसलिए यह योजना बनाई गई है। जिसकी उपयोगिता के बाद ही नहर शिफ्टिंग व उत्खनन की अनुमति दी जाएगी- मो. कैसर अब्दुल हक, कलेक्टर